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किसान नेता बोले- आरडीएफ जलाया तो मुकदमे कराऊंगा:बढ़ते प्रदूषण पर भाकियू का विरोध, कहा- पेपर मिलों पर जाहिर किया गुस्स

मुजफ्फरनगर जनपद में वायु प्रदूषण को लेकर जनता में आक्रोश बढ़ रहा है। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने पेपर मिलों द्वारा रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (RDF) जलाने के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। जनपद में प्रदूषण का मुख्य कारण पेपर मिलों द्वारा RDF के नाम पर कूड़ा जलाना बताया जा रहा है। इससे आम लोगों को सांस लेने में भारी परेशानी हो रही है और आसपास के गांवों में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा हो रही हैं। कई ग्रामीण कैंसर और टीबी जैसी घातक बीमारियों की चपेट में आ चुके हैं। इसके अलावा, क्षेत्र के पेड़-पौधे भी तेजी से नष्ट हो रहे हैं, जिससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है। इस मुद्दे पर भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने पिछले कई दिनों से आंदोलन शुरू कर दिया है। हाल ही में भोपा रोड पर यूनियन कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया था, जहां RDF से लदे ट्रकों को रोका गया और तीन ट्रक जब्त कराए गए। प्रशासन ने गीले कूड़े की ढुलाई पर सख्ती बरतते हुए एक निगरानी समिति का गठन किया है। मंगलवार देर शाम यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने अपने आवास पर मीडिया से बात करते हुए स्पष्ट किया कि मुजफ्फरनगर की किसी भी पेपर मिल में RDF नहीं जलने दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि RDF के बहाने अन्य शहरों से लाया गया कूड़ा जलाया जा रहा है, जिससे प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। मलिक ने चेतावनी दी कि यदि किसी मिल में RDF जलाया गया, तो संबंधित मिल मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा और उन्हें जेल भिजवाने तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने मिल मालिकों द्वारा मिल बंद करने की धमकी को खारिज करते हुए कहा कि जनता की जिंदगी से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिला कलेक्ट्रेट में हुई बैठक पिछले दिनों जिला कलेक्ट्रेट में प्रशासन, मिल मालिकों और किसानों के बीच एक बैठक हुई थी, जिसमें आरडीएफ को लेकर चर्चा की गई। बैठक में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे। इस दौरान उनकी मिल मालिकों से नोंकझोंक भी हुई। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि आरडीएफ जनपद में नहीं जलने दिया जाएगा और कोई भी ट्रक जनपद में नहीं घुसने दिया जाएगा। वहीं मिल मालिकों ने कहा कि आरडीएफ जलाने की अनुमति सरकार से है। यदि प्रशासन ने सख्ती दिखाई तो मिलें बंद कर उनकी चाबियां मुख्यमंत्री या जिला प्रशासन को सौंप दी जाएंगी। बैठक के बाद बीच का रास्ता निकाला गया, जिसमें मिल मालिकों ने एक माह का समय लिया और एक कमेटी गठित की गई। यूनियन का आरोप, फिर दी गई धमकी दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने स्पष्ट रूप से कहा कि मिल मालिकों ने एक बार फिर मिलें बंद करने की धमकी दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मिलों की वजह से लोगों को कैंसर, टीबी और अन्य घातक बीमारियां हो रही हैं। यूनियन ने ऐलान किया है कि आने वाले दिनों में गांव-गांव जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जिनमें जल विशेषज्ञ और पर्यावरण विशेषज्ञ शामिल होंगे। पर्यावरण और जनस्वास्थ्य से समझौता नहीं भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने स्पष्ट किया कि पर्यावरण और जनस्वास्थ्य से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। यह आंदोलन केवल प्रदूषण नियंत्रण के लिए ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए भी है। प्रशासन से मांग की गई है कि आरडीएफ की ढुलाई और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए तथा दोषी मिलों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।


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