हमीरपुर जिले में किसानों को यूरिया खाद के संकट का सामना करना पड़ रहा है। लगातार खराब मौसम के कारण खरीफ की फसल पहले ही प्रभावित हो चुकी थी, और अब रबी की बुवाई में भी देरी हो गई है। नवंबर में बोई जाने वाली गेहूं की फसल अब दिसंबर में बोई जा रही है, जिससे किसानों को अपनी एकमात्र बची फसल बचाने की चिंता है। जिले के खाद वितरण केंद्रों पर किसान सुबह 5-6 बजे से ही लंबी कतारों में खड़े हो जाते हैं। उन्हें अपनी बारी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। केंद्रों पर प्रति किसान केवल चार बोरी यूरिया ही दी जा रही है, जिसकी सरकारी कीमत 275 रुपये प्रति बोरी है। किसानों का कहना है कि यह मात्रा उनकी जरूरत से काफी कम है। उन्हें अतिरिक्त खाद खुले बाजार से दोगुनी कीमत पर खरीदनी पड़ रही है, जहां यूरिया 450 रुपये प्रति बोरी में बिक रही है। किसान शकील ने बताया कि वह सुबह 6 बजे से लाइन में लगे थे, लेकिन 10 बजे तक भी उन्हें खाद नहीं मिल पाई। किसान मनफूल ने भी सुबह से लाइन में लगने की बात कही। उन्होंने बताया कि पहले दो बोरी मिलती थी, अब चार मिल रही है, लेकिन खेत की आवश्यकता पूरी नहीं हो पा रही है। वहीं, किसान श्यामबाबू प्रजापति ने बताया कि उन्होंने शुक्रवार को कागजात जमा किए थे, पर खाद नहीं मिली। अब वह नए कागजात लेकर दोबारा आए हैं।
मौदहा कस्बे के किसान बृजेंद्र गौतम ने बताया कि खरीफ की फसल तो खराब मौसम के कारण बोई ही नहीं जा सकी थी। रबी की बुवाई भी खेतों में खरपतवार उग आने और लगातार बारिश के कारण देर से हुई है। अब किसान केवल गेहूं की बुवाई कर पा रहे हैं, जिसके लिए उन्हें तत्काल खाद की आवश्यकता है। लगातार मौसम की मार और अब खाद संकट ने किसानों को दोहरी मुसीबत में डाल दिया है। इकलौती बची गेहूं की फसल पर ही उनकी पूरी उम्मीदें टिकी हैं, जिसके लिए किसान सुबह से लंबी कतारों में खड़े होकर खाद का इंतजार कर रहे हैं।
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