कासगंज में सिविल जज सीनियर डिवीजन खान जीशान मसूद की अदालत ने सीओ पटियाली संदीप वर्मा पर विचाराधीन मामले में हस्तक्षेप करने के लिए 100 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि उनके वेतन से काटकर वादी को अदा की जाएगी। कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी भी की है। यह मामला पटियाली थाना क्षेत्र के अलीपुर दादर स्थित कोहिनूर ईंट-भट्ठे से संबंधित है। रहमत अली खां और मुजफ्फर हुसैन के बीच सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में इस संबंध में एक वाद लंबित है। वादी रहमत अली खां की याचिका पर कोर्ट ने 7 नवंबर को मौके पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को तय की गई थी। इसके बावजूद, सीओ पटियाली संदीप वर्मा ने 7 नवंबर की शाम को ही प्रतिवादी फाजिल के पिता अरशद खान से प्रार्थना पत्र लेकर वादी के भाइयों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया। अदालत ने सीओ के इस हस्तक्षेप पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि यदि कोई मामला सिविल न्यायालय में लंबित हो, तो प्रशासनिक अधिकारियों का क्षेत्राधिकार समाप्त हो जाता है। न्यायालय ने कहा कि यदि कोई अवहेलना होती है, तो उसके अनुपालन का क्षेत्राधिकार भी केवल न्यायालय का होता है। कोर्ट ने पाया कि चेतावनी के बावजूद पुलिस का हस्तक्षेप नहीं रुका। सीओ ने न केवल कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया, बल्कि वे न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से हाजिर भी नहीं हुए। इन कारणों से कोर्ट ने सीओ पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया है। इस आदेश की एक प्रति कासगंज के पुलिस अधीक्षक को भेजकर 15 दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की गई है। मामले में अगली सुनवाई की तारीख 29 नवंबर तय की गई है।
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