कासगंज के सिढ़पुरा विकास खंड में मनरेगा योजना के तहत सामग्री मद में किए गए भुगतानों में गंभीर अनियमितताओं की पुष्टि होने पर ग्राम्य विकास विभाग, उत्तर प्रदेश ने सख्त कार्रवाई करते हुए ब्लॉक में तैनात रहे लेखाकार सोरेन सिंह के वित्तीय अधिकार तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए हैं। साथ ही उनका डोंगल राज्य स्तर से निष्क्रिय कर दिया गया। यह कदम पूर्व विधायक ममतेश शाक्य की शिकायत पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर उठाया गया। शिकायत में आरोप था कि लेखाकार ने मनरेगा के सामग्री मद में उपलब्ध धनराशि के वितरण में मनमानी करते हुए भुगतान प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी की। मामले की गंभीरता देखते हुए उपमुख्यमंत्री ने उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए। इसके बाद आयुक्त, ग्राम्य विकास ने 13 अक्टूबर 2025 को उपायुक्त प्रियंवदा यादव (संयुक्त विकास आयुक्त कार्यालय, लखनऊ मंडल) को जांच अधिकारी नियुक्त किया। जांच अधिकारी द्वारा 11 नवंबर 2025 को प्रस्तुत रिपोर्ट में पाया गया कि 17 सितंबर 2025 को किए गए भुगतान में शासन की पहले आओ–पहले पाओ नीति का उल्लंघन हुआ। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि लेखाकार ने ‘पिक एंड चूज़’ की कार्यप्रणाली अपनाकर कुछ फर्मों को प्राथमिकता दी और भुगतान प्रस्तावों को द्वितीय हस्ताक्षरी के समक्ष गलत क्रम में प्रस्तुत किया। खंड विकास अधिकारी, कंप्यूटर ऑपरेटर, ग्राम प्रधानों, अभिलेखों और एमआईएस रिपोर्ट के परीक्षण में ये अनियमितताएं प्रमाणित हुईं। रिपोर्ट में कहा गया कि शासन के निर्देशों के बावजूद सोरेन सिंह ने घोर लापरवाही और अनुशासनहीनता दिखाई। इसी आधार पर संयुक्त आयुक्त (मनरेगा) संजय कुमार पांडेय ने आदेश जारी कर उनके वित्तीय अधिकार प्रतिबंधित किए और डोंगल निष्क्रिय किया। यह आदेश आयुक्त, ग्राम्य विकास की स्वीकृति के बाद लागू किया गया। इससे पहले ही सोरेन सिंह का तबादला सिढ़पुरा से पटियाली ब्लॉक हो चुका था। जिसके चलते आदेश में जिलाधिकारी/जिला कार्यक्रम समन्वयक कासगंज को निर्देशित किया गया है कि पटियाली में मनरेगा कार्य प्रभावित न हों, इसके लिए किसी अन्य लेखाकार की तत्काल तैनाती सुनिश्चित की जाए। साथ ही मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी और उपायुक्त (श्रम–रोजगार) को भी आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
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