कानपुर मेट्रो अब केवल ढांचागत निर्माण तक सीमित नहीं है। कानपुर सेंट्रल से नौबस्ता तक मेट्रो संचालन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है, जिसे शहर के परिवहन इतिहास में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है। इस खंड में बिजली की आपूर्ति शुरू हो गई है। कॉरिडोर-1 के इस अहम हिस्से में 6 अत्याधुनिक सब-स्टेशनों को ऊर्जीकृत कर दिया गया है। इसका अर्थ है कि अब मेट्रो ट्रेनों की टेस्टिंग से लेकर स्टेशन के हर बल्ब, एस्केलेटर और लिफ्ट तक को चलाने के लिए पूरी शक्ति सिस्टम को मिल चुकी है। यह वह पड़ाव है जिसके बाद मेट्रो का सपना पटरियों पर दौड़ता नजर आता है। झकरकटी, बारादेवी, बसंत विहार और नौबस्ता में 33 केवी ऑग्जीलरी सबस्टेशन तैयार किए गए हैं। वहीं, किदवई नगर और बौद्ध नगर में ऑग्ज़ीलरी कम ट्रैक्शन सब-स्टेशन स्थापित किए गए हैं। इन सब-स्टेशनों की खासियत यह है कि ये मेट्रो को दोहरी ऊर्जा प्रदान करते हैं – एक स्टेशन की जरूरतों के लिए और दूसरी सीधे ट्रेनों को चलाने के लिए है। 33 केवी की हाई वोल्टेज बिजली को पहले 415 वोल्ट एसी में बदला जाता है, जिससे स्टेशन जीवंत बनते हैं। दूसरी ओर, इसी बिजली को 750 वोल्ट डीसी में परिवर्तित कर मेट्रो ट्रेनों की नसों में दौड़ाया जाता है। यह तकनीकी प्रक्रिया जितनी जटिल है, उतनी ही निर्णायक भी है। सभी ट्रांसफार्मरों की टेस्टिंग और सरकार से प्रमाण मिलने के बाद अब ट्रायल रन का रास्ता पूरी तरह साफ हो चुका है। यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि मोतीझील से कानपुर सेंट्रल के बाद अब मेट्रो का अगला पड़ाव कानपुर सेंट्रल से नौबस्ता तक यात्री सेवा का विस्तार करना है।
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