जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर ने चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पहली बार हाइटेक बेरिएट्रिक एवं मेटाबॉलिक सर्जरी — स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी विद सिंगल एनास्टोमोसिस डुओडेनो-जेजुनल बाइपास (SADJ-B) को सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। ये सर्जरी प्रदेश के किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में पहली बार की गई है, इस को सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐतिहासिक माना जा रहा है। यह सर्जरी प्रक्रिया 10 दिसंबर 2025 को 54 वर्षीय महिला मरीज जो कानपुर के कर्रही, कानपुर निवासी है । इनकी मेडिकल कॉलेज में सर्जरी की गई है। ये डायबिटीज और घुटने के दर्द से परेशान रहती थी। साथ ही इनका वजन 100 किलो के आसपास था। अब 6 महीने के बाद 40 किलो तक वजन कम हो जाएगा। अधिक मोटापे के कारण मरीज की स्थिति अत्यंत गंभीर थी और वे दैनिक कार्य करने में असमर्थ होकर पूरी तरह व्हीलचेयर पर निर्भर थीं। अधिक वजन के चलते उन्हें एंटीरियर एब्डॉमिनल वॉल हर्निया की समस्या भी हो गई थी। साथ ही मरीज पिछले 10 वर्षों से हाईपरटेंशन, टाइप-2 डायबिटीज़ एवं ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी बीमारियों से पीड़ित थीं। प्रारंभिक उपचार के रूप में मरीज को डाइटरी मॉडिफिकेशन एवं जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी गई, लेकिन अपेक्षित लाभ न मिलने पर चिकित्सकीय जांच और मूल्यांकन के बाद उन्हें बेरिएट्रिक एवं मेटाबॉलिक सर्जरी के लिए चयनित किया गया। लगभग 6 घंटे तक चली इस जटिल सर्जरी को अनुभवी टीम ने हाइटेक लैप्रोस्कोपिक टेक्निक की मदद से सफल हुई है। सर्जरी के बाद मरीज को उनकी पुरानी बीमारियों को ध्यान में रखते हुए 7 दिनों तक आईसीयू में रखा गया, जहां निरंतर डॉक्टर की निगरानी में रखा गया। विशेषज्ञों के अनुसार, यह उपलब्धि जी.एस.वी.एम. मेडिकल कॉलेज, कानपुर की बेरिएट्रिक एवं मेटाबॉलिक सर्जरी के क्षेत्र में बढ़ती विशेषज्ञता, उन्नत लैप्रोस्कोपिक तकनीकों और मजबूत टीमवर्क को दर्शाती है। सर्जरी करने वाली टीम में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय काला, डॉ. आर. के. जौहरी (प्रोफेसर), डॉ. अभिषेक गोंड (असिस्टेंट प्रोफेसर), डॉ. आलोक यादव (JR-3), डॉ. सुमित सिंह (JR-3), डॉ. सुरेश (JR-3), डॉ. दिशा गुलाटी एवं डॉ. काफिलुर रहमान वहीं एनेस्थीसिया टीम से डॉ. पल्लवी एवं डॉ. करण और नर्सिंग स्टाफ से सुषमा एवं ज्योति मौजूद रही।
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