कानपुर में नवजात शिशु का शव मिला है। बच्चे के नाल लगी थी। सोमवार शाम शव को मुंह में भरकर कुत्ता ब्लॉक कैंपस में लेकर पहुंचा। शव को कुत्ता नोंच रहा था। इसी बीच लोगों को नजर पड़ी।
सूचना चौबेपुर थाना पुलिस को दी गई। पुलिस ने मौके से सबूत जुटाए और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है। हालांकि, अभी ये पता नहीं चल सका है कि शव किसने और क्यों फेंका। लोग बोले- ऐसी हरकत समाज को शर्मसार करती है
पुलिस ने आशंका जताई है कि लोकलाज के डर से नवजात को जन्म देने के बाद फेंका गया होगा। हालांकि, ये अभी स्पष्ट नहीं है कि बच्चा मृत जन्मा था या उसकी हत्या कर फेंक दिया गया, या उसे जिंदा ही फेंका गया। स्थानीय लोगों ने इस पर नाराजगी जताई है। लोगों ने कहा- सरकार द्वारा सुरक्षित प्रसव, गोपनीय डिलीवरी और नवजात संरक्षण के लिए योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। फिर भी ऐसी हरकतें समाज को शर्मसार करती हैं।
पुलिस CCTV खंगाल रही
चौबेपुर थाना इंचार्ज आशीष चौबे ने बताया- मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है। पुलिस आसपास लगे CCTV कैमरों की फुटेज खंगाल रही है। स्थानीय लोगों से पूछताछ भी की जा रही है। उन्होंने कहा- ऐसी अमानवीय हरकत में शामिल व्यक्तियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। लोग बोले- ऐसी घिनौनी हरकत करने वाले पर कार्रवाई हो
वहां मौजूद लोगों ने गुस्से में कहा- नवजात शिशु को जन्म देने के बाद उसे फेंक देना सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार करता है। जिस मासूम ने अभी आंख भी नहीं खोली, उसके साथ ऐसी दरिंदगी समाज को शर्मसार करती है। सवाल ये है कि क्या हम इतने संवेदनहीन हो चुके हैं कि एक नन्हीं जान बोझ लगने लगे? कानून, समाज और सिस्टम- सबके लिए यह चेतावनी है कि ऐसी घिनौनी हरकतों पर सख्त कार्रवाई हो। मृत जन्मा तो अंतिम संस्कार करते, अनचाही संतान थी तो पालना घर में देते
ऐसे में सवाल उठता है कि अगर बच्चा मृत जन्मा था तो धार्मिक मान्यताओं की तरह परिवार अंतिम संस्कार करता। अगर अनचाही संतान थी तो कानपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज स्थित आश्रय पालना स्थल में बच्चे को छोड़ आते। यहां पालने में रखने के 2 मिनट बाद ही सेंसर अलार्म लेवर रूम में डॉक्टर के पास बजता और मेडिकल टीम उसे अपनी देखरेख में ले लेती। जानिए क्या है आश्रय पालना स्थल?
मासूमों को फेंके नहीं हमें दें… ये शब्द सुनने में जितने अच्छे लग रहे हैं, उतने ही अच्छे इसके मकसद हैं। जी हां, एक संस्था जो राजस्थान के बाद यूपी के कानपुर, लखनऊ, मेरठ, गोरखपुर सहित कई जिलों में पालना आश्रय स्थल के नाम से आई है। इस आश्रय पालना की शुरुआत की गई है। मां भगवती विकास संस्थान के संस्थापक संचालक योग गुरु देवेंद्र अग्रवाल ने बताया- ऐसे लावारिस बच्चे जिनके परिजन उन्हें पालना नहीं चाहते, ऐसे बच्चों को आश्रय पालना में छोड़कर चले जाएं। इसके बाद उन बच्चों की देखरेख संस्था और अस्पताल की जिम्मेदारी होगी। बच्चा छोड़कर जाने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा
सबसे पहले राजस्थान में आश्रय पालना की शुरुआत की गई थी। जहां अब तक राजस्थान में संस्था ने 100 से ज्यादा नवजात शिशु को सुरक्षित परित्याग किया है। जिसमें 86 से ज्यादा मासूमों की जान बचाई गई। इस पालना को पूरी तरीके से हाईटेक बनाया गया है। बच्चा छोड़कर जाने वाले परिजनों की पहचान गोपनीय रखी जाएगी।
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