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कानपुर जेल में बंदी की संदिग्ध मौत:गबन के आरोप में एक साल से जेल में था मृतक, परिजनों ने जेल प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप

कानपुर जेल में गबन के आरोप में कैद बंदी की बुधवार को संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। बीते दिनों जेल में उसकी तभीयत खराब हुई थी, जिसके बाद उसे हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां हालत गंभीर होने के कारण आरोपी को वेंटीलेटर पर रखा गया था। हैलट में इलाज के दौरान बुधवार सुबह बंदी की मौत हो गई। वहीं बंदी की मौत के बाद परिवार के लोगों ने जेल प्रशासन पर जमकर हमला बोला और लापरवाही के आरोप लगाए। परिजनों का कहना था कि जेल प्रशासन ने जानबूझकर लापरवाही की है, जिसके कारण मृतक की जान चली गई। परिजनों ने मामले में जांच की मांग की है। पिछले कई महीनों से थी तभीयत खराब ग्वालटोली थाना पुलिस ने गबन के मामले में अक्टूबर 2024 में थाना क्षेत्र निवासी रूप नरायण यादव को कोर्ट में पेश करके जेल भेजा था। इसके बाद से ही वह जिला कारागार में बंद थे। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है और इस मामले का ट्रायल भी लगातार जारी है। मृतक के बड़े भाई सत्येंद्र ने बताया कि जब रूप नरायण को जेल भेजा गया था, तब वह पूरी तरह से स्वस्थ थे। लेकिन जेल में जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण रूप नरायण की तभीयत लगातार खराब होती जा रही थी। कुछ महीने पहले जब वह जेल में उनसे मिलने गए थे तो वह खड़े नहीं हो पा रहे थे। लेकिन जेल प्रशासन ने उनका इलाज नहीं कराया। जेल में ही हो रही थी औपचारिकता पूरी मृतक के बड़े भाई सत्येंद्र ने पुलिस पर भी आरोप लगाए और कहा कि उनके भाई को बिना कारण और सबूत के जेल भेजा गया था। इसके बाद जेल में उनके साथ लापरवाही बरती गई और सही इलाज नहीं मिला। जिसके कारण उनकी हालत बिगड़ती चली गई। उन्होंने बताया कि परिजनों ने जेल प्रशासन से मांग की थी कि मृतक को किसी अच्छे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाए, जिससे उसका उपचार हो सके। लेकिन जेल प्रशासन जेल के अंदर ही उसे नॉर्मल दवाइयां देकर काम चलाता रहा। जब हालत ज्यादा बिगड़ी तो उसे हैलट में भर्ती कराया गया, लेकिन दिक्कत बढ़ने के कारण बंदी की मौत हो गई। परिजनों ने की मजिस्ट्रेटी जांच की मांग बंदी की मौत के बाद परिवार के लोगों ने इस मामले में मजिस्ट्रेटी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जेल प्रशासन की लापरवाही के कारण ही बंदी की मौत हुई है। इसलिए इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और इसमें जिसकी भी लापरवाही सामने आए, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं जेल अधीक्षक बीडी पांडेय को इस मामले में कई बार फोन मिलाया गया, लेकिन उनका मोबाइल रिसीव नहीं हुआ। हालांकि जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में जांच की तैयारी की जा रही है।


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