मौसम में बदलाव के साथ ही वन्यजीवों के रहन-सहन और खान-पान में भी बदलाव कर दिया गया है। कानपुर जू में जहां एक ओर शेर, बाघ और तेंदुए का मांस बढ़ाया गया है। वहीं दूसरी ओर भालू को दोगुना शहद पिलाया जा रहा है। तापमान गिरने के साथ साथ वन्यजीवों के बर्ताव में भी परिवर्तन देखा जा रहा है। सर्पगृह को बंद कर दिया गया है। हालांकि दर्शकों के लिए चिड़ियाघर सुबह 9.30 से शाम 4.30 बजे तक खुल रहा है। भालू को मिल रहा शकरकंद और अंडा
रेंजर नावेद इकराम ने बताया कि बाघ को खाने के लिए दिए जाने वाले मांस को 6 किलो से बढ़कर 7 किलो कर दिया गया है। इसके अलावा शेर को 8 और शेरनी को 6 किलो मांस दिया जा रहा है। वही तेंदुए को तीन से चार किलो मांस खाने को दे रहे हैं। इसके अलावा भालू को 200 की जगह 300 एमएल शहद रोज दिया जा रहा है। इसके साथ में दो अंडे और शकरकंद भी उसकी डाइट में शामिल किए गए हैं। बाड़ों को किया गया दुरुस्त
वन्यजीवों को ठंड से बचने के लिए बाड़ों में पटरे लगा दिए गए हैं। साथ ही हीटरों को भी दुरुस्त करके बाड़ों में लगा दिया गया है। हालांकि फिलहाल तापमान अभी बहुत ज्यादा नीचे ना जाने की वजह से हीटरों को शुरू नहीं किया गया है। पंछियों के पिंजरे में बल्ब व पॉलिथीन लगाई गई है ताकि हवा ना जा सके और गर्मी बनी रहे। धूप में बाहर आ रहे वन्यजीव
वन्य जीव विशेषज्ञ बताते हैं कि इन दोनों कानपुर चिड़ियाघर में वन्यजीवों के बर्ताव में फर्क आया है। सुबह और शाम ठंडी हवा चलने के कारण वह बाड़ों के भीतर रहते हैं। वहीं दोपहर में धूप निकलने के समय वह बाड़ों से बाहर आते हैं और दर्शकों को देखने को मिल रहे हैं।
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