इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में आर्म्स एक्ट के केस की सुनवाई मूल मुकदमे के साथ करने के खिलाफ़ याचिका दाखिल अभियुक्तों की खारिज़ कर दी। याचिका में आर्म्स एक्ट के मुकदमे का ट्रायल अलग चलाने की मांग की गई थी। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने रमेश चंद्र व छह अन्य आरोपियों की याचिका पर दिया है। याचिका में स्पेशल कोर्ट कानपुर देहात के गत छह अगस्त के आदेश को चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि ट्रायल कोर्ट ने याचियों का पक्ष सुने बिना आर्म्स एक्ट का केस मूल मुकदमे के साथ सुने जाने का आदेश दिया है जो अवैधानिक है। याचिका का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय ने कहा कि याचियों को सुनवाई का अवसर दिया गया था लेकिन उनकी ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई। रिकॉर्ड देखने पर पता चला कि ट्रायल कोर्ट ने आदेश से पूर्व याचियों को सुनवाई का मौका दिया था लेकिन उनकी ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई। कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदर्श में कोई अवैधानिकता नहीं है। गौरतलब है कि 2020 में कानपुर के चौबेपुर थानाक्षेत्र में अपराधियों को पकड़ने गए आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। इसका ट्रायल कानपुर देहात की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है। पुलिस ने घटना से जुड़े अभियुक्तों से बाद में असलहों की बरामदगी की और आर्म्स एक्ट के मुकदमे अलग से दर्ज किए। सभी बरामदगी मूल घटना से संबंधित होने के कारण ट्रायल कोर्ट ने मूल वाद और आर्म्स एक्ट का मुकदमा एकसाथ सुनने का आदेश दिया, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी।
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