गाजीपुर में एक पुलिस कांस्टेबल ने समाज में एक सकारात्मक मिसाल पेश की है। उन्होंने अपनी ड्यूटी के अलावा गरीब और असहाय परिवारों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने का सराहनीय कार्य किया है। जेल में तैनात इस कांस्टेबल ने उन बच्चों पर ध्यान दिया जो विद्यालय जाने के बजाय कचरा बीनकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे। कांस्टेबल के प्रयासों से अब ये बच्चे प्रतिदिन विद्यालय जाने लगे हैं। गाजीपुर जनपद के देवकली ब्लॉक स्थित मऊपारा प्राथमिक विद्यालय में एक पुलिस कांस्टेबल की पहल ने करीब एक दर्जन बच्चों का जीवन बदल दिया है। पहाड़पुर गांव के ये बच्चे अब कूड़ा बीनने के बजाय नियमित रूप से स्कूल जा रहे हैं। दरअसल, विद्यालय खुलने के समय शिक्षकों ने छात्र संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से इन बच्चों का दाखिला तो कर लिया था, लेकिन उन्हें स्कूल लाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। कुछ समय पहले जेल ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल अनिल को विद्यालय के प्रधानाचार्य के माध्यम से जानकारी मिली कि उनके विद्यालय के सात-आठ बच्चे पढ़ाई छोड़कर कचरा बीनते हैं और उनके परिजन उन पैसों से शराब पीते हैं। यह जानकारी मिलने पर कांस्टेबल अनिल तुरंत बच्चों के गांव पहाड़पुर पहुंचे। उन्होंने बच्चों के परिजनों से बात की और अपनी गरीबी से उठकर कांस्टेबल बनने तक की कहानी साझा कर उन्हें प्रेरित किया। उनके प्रयासों से परिवार के सदस्य अपने बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए सहमत हुए। इसके बाद, गांव में कचरा बीन रहे बच्चों को बुलाया गया और उन्हें भी पढ़ाई के लिए प्रेरित किया गया। जब सभी बच्चे विद्यालय जाने को तैयार हुए, तो कांस्टेबल अनिल ने उन्हें पेंसिल, कॉपी और चॉकलेट देकर विद्यालय तक पहुंचाया। वहां उन्होंने बच्चों की दोस्ती अन्य छात्रों से करवाई और उन्हें कक्षा में पढ़ने के लिए बैठाया। इस पहल के बाद से बच्चों का विद्यालय आने का क्रम लगातार जारी है। पिछले करीब एक सप्ताह से ये बच्चे कूड़ा बीनने जाने के बजाय अपना स्कूल बैग लेकर विद्यालय आ-जा रहे हैं। कांस्टेबल अनिल अपने इस छोटे से प्रयास से करीब 10-12 बच्चों के जीवन में रोशनी लाने में सफल होने पर खुशी व्यक्त कर रहे हैं।
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