धर्मनगरी अयोध्या एक बार फिर भक्ति, आस्था और आध्यात्मिक वैभव की साक्षी बनने जा रही है। कर्नाटक में निर्मित प्रभु श्रीराम की रत्नजड़ित भव्य प्रतिमा अयोध्या पहुंच चुकी है। इस दिव्य प्रतिमा के आगमन से रामनगरी में उत्साह और श्रद्धा का माहौल है। राम जन्मभूमि से जुड़े ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि प्रतिमा को किस श्रद्धालु या संस्था द्वारा भेजा गया है, इसके वजन और मूल्य से संबंधित विस्तृत जानकारी अभी प्राप्त नहीं हुई है। जैसे ही आधिकारिक विवरण मिलेगा, उसे सार्वजनिक किया जाएगा। ट्रस्ट के अनुसार, इस भव्य प्रतिमा की स्थापना संत तुलसीदास मंदिर के समीप अंगद टीला की दिशा में किए जाने पर विचार किया जा रहा है। स्थापना से पूर्व विधि-विधान के साथ भव्य अनावरण एवं प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर देशभर से संत-महात्माओं और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि यह प्रतिमा विशेष रूप से तैयार की गई है, जिसमें सोना, चांदी और हीरे सहित बहुमूल्य रत्न जड़े गए हैं। दक्षिण भारत की प्रसिद्ध शिल्पकला से निर्मित इस प्रतिमा को अत्यंत जीवंत और दिव्य स्वरूप दिया गया है। प्रभु श्रीराम की यह प्रतिमा मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्शों, करुणा और धर्म का प्रतीक मानी जा रही है। अंगद टीला का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व पहले से ही अयोध्या में विशिष्ट स्थान रखता है। संत तुलसीदास मंदिर के समीप प्रतिमा की स्थापना से यह क्षेत्र श्रद्धालुओं के लिए एक नए आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है। स्थानीय संतों और धार्मिक संगठनों का मानना है कि इस प्रतिमा की स्थापना से अयोध्या की धार्मिक गरिमा और अधिक बढ़ेगी तथा देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। सूत्रों के अनुसार, प्रतिमा की स्थापना से पहले विशेष पूजा-अर्चना, यज्ञ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए जाएंगे, जिससे पूरा क्षेत्र राममय वातावरण में सराबोर हो जाएगा।
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