कबीर महोत्सव 2025 का लखनऊ के गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में उद्घाटन किया गया। यह तीन दिवसीय महोत्सव अपने दसवें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इसका मुख्य उद्देश्य कबीर की विचारधारा—साहसिक सत्य, सृजनात्मक स्वतंत्रता और मानवता—को जन-जन तक पहुंचाना है। महोत्सव के पहले दिन की शुरुआत सामुदायिक कला परियोजना के साथ हुई। इसके बाद “समझो सिनेमा” सत्र में महिलाओं के चित्रण, सिनेमा के सामाजिक प्रभाव और कहानी कहने के विभिन्न तौर-तरीकों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। ‘सिंग आउट लाउड’ संगीत सत्र का आयोजन कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध नाट्य कलाकार लकीजी गुप्ता द्वारा निर्देशित और राजेश जी द्वारा रचित नाटक “बहुरूपिया” का मंचन हुआ। यह नाटक पारंपरिक बहुरूपिया कलाकारों के जीवन की सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियों को प्रभावी ढंग से दर्शाता है।शाम को “सिंग आउट लाउड” संगीत सत्र आयोजित किया गया, जिसमें गुरु दत्त और ज़ुबीन गार्ग को श्रद्धांजलि दी गई। कलाकारों ने “जाने वो कैसे लोग थे”, “चौदवीं का चाँद” और “या अली” जैसे लोकप्रिय गीत प्रस्तुत किए, जिस पर दर्शक झूम उठे। बच्चों और बुजुर्गों ने मिलकर सहज नृत्य भी किया। नाटक में मानवीय संवेदनाओं को प्रस्तुत किया सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ “जादू नहीं विज्ञान” सत्र ने सामान्य घटनाओं के पीछे की वैज्ञानिक सच्चाई को उजागर किया। इस सत्र ने युवा दर्शकों में जिज्ञासा जगाई और उन्हें विज्ञान तथा कल्पना के बीच के अंतर को समझा। समापन ज्योति डोगरा द्वारा लिखित और निर्देशित अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त नाटक “मेज़ोक” के प्रदर्शन के साथ हुआ। इस नाटक ने मानवीय इच्छाओं, सामाजिक दबावों और भावनात्मक जटिलताओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। यह आयोजन तीन दिनों तक चलेगा महोत्सव की समन्वयक उपासना त्रिपाठी ने बताया कि यह आयोजन तीन दिनों तक चलेगा।महोत्सव के पहले दिन समाज के सभी वर्गों और आयु समूहों के दर्शक उपस्थित रहे। इस आयोजन में थिएटर, संगीत, कला, फिल्म विमर्श, युवा संवाद और सामुदायिक सत्रों का समृद्ध संयोजन देखने को मिला, जो कबीर की विचारधारा को आधुनिक कला और सामाजिक चेतना के साथ जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है।
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