सोनभद्र पुलिस ने कफ सीरप तस्करी के आरोपी 10 हजार रुपये के इनामी आरोपी सत्यम कुमार को वाराणसी से गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी कफ सीरप तस्करी के मास्टरमाइंड भोला प्रसाद जायसवाल से पूछताछ के बाद हुई है। भोला प्रसाद जायसवाल को कोलकाता से चार दिन की पुलिस रिमांड पर लेकर रांची ले जाया गया था, जहां एसआईटी टीम ने अवैध कफ सीरप के वितरण स्थलों की जांच की थी। आरोपी सत्यम वाराणसी के कबीरचौरा का निवासी है। अभियुक्त सत्यम कुमार ने सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज में किराए का मकान लेकर ‘मां कृपा मेडिकल’ के नाम से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और शपथ पत्र के आधार पर औषधि विभाग से ड्रग लाइसेंस लिया था। मौके पर ‘मां कृपा मेडिकल’ नामक यह फर्म स्थापित नहीं थी। सत्यम कुमार ने इसी फर्जी पते पर रांची की शैली ट्रेडर्स (प्रोप्राइटर भोला प्रसाद एवं शुभम जायसवाल) से लगभग 6 करोड़ रुपये का फेन्साडिल कफ सीरप खरीदने का दिखावा किया। इसके बाद, उसने भदोही की नई बाजार स्थित फर्जी फर्मों, जैसे आयुष इंटरप्राइजेज, सनाया मेडिकल और दिलीप मेडिकल (जो मौके पर मौजूद नहीं थीं) के नाम पर सीरप बेचने का फर्जी दावा किया। इन फर्जी फर्मों के खातों से पैसे घुमाकर लगभग 6 करोड़ रुपए शैली ट्रेडर्स के खाते में स्थानांतरित किए गए। जांच में मौके पर सीरप की शीशियों का वास्तविक परिवहन नहीं पाया गया है। सत्यम कुमार ने पूछताछ में बताया है कि उसके नाम और उसके भाई के नाम पर स्थापित दो फर्मों के माध्यम से लगभग 12 करोड़ रुपए के न्यू फेन्साडिल सीरप का कागजों में क्रय-विक्रय किया गया। यह पूरा घोटाला केवल कागजी लेनदेन पर आधारित था। ममेरे भाई के साथ मिलकर करता था खेल सत्यम कुमार के अनुसार, उसके बुआ के लड़के रवि गुप्ता ने उसके नाम पर ‘माँ कृपा मेडिकल’ और उसके भाई विजय गुप्ता के नाम पर ‘शिविक्षा फार्मा’ नामक दो फर्में स्थापित कराई थीं। इन फर्मों के लिए सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज स्थित बरकरा गांव में किराए पर दो दुकानें ली गईं और जनवरी 2024 में औषधि निरीक्षक, सोनभद्र के कार्यालय से ड्रग लाइसेंस प्राप्त किए गए।
अभियुक्त ने बताया कि ‘माँ कृपा मेडिकल’ के नाम पर रांची (झारखंड) की शैली ट्रेडर्स से वर्ष 2024-2025 के दौरान लगभग 6 करोड़ रुपये का न्यू फेन्साडिल सीरप कागजों में खरीदा गया। शैली ट्रेडर्स के प्रोपराइटर पहले भोला जायसवाल थे, बाद में उनके पुत्र शुभम जायसवाल बने। इसी तरह, विजय गुप्ता की फर्म ‘शिविक्षा फार्मा’ के नाम से भी लगभग 6 करोड़ रुपए का सीरप कागजों में क्रय दर्शाया गया। सत्यम के मुताबिक, खरीदे गए इस सीरप को भदोही जनपद स्थित फर्जी फर्मों जैसे आयुष इंटरप्राइजेज, सनाया मेडिकल और दिलीप मेडिकल (नई बाजार) को कागजों में ही सप्लाई दिखाया गया। अभियुक्त ने यह भी स्वीकार किया कि उसे न्यू फेन्साडिल की प्रति शीशी के क्रय-विक्रय पर लाभ मिलता था। फर्जी फर्म खुलवाकर पैसे जमा कराए सत्यम ने बताया कि उसकी फर्म ‘माँ कृपा मेडिकल’ के नाम से दर्शाई गई लगभग 6 करोड़ रुपए की क्रय राशि उसके बैंक खाते से इंडियन बैंक स्थित शैली ट्रेडर्स के खाते में भेजी गई थी। रवि गुप्ता, शुभम जायसवाल के साथ मिलकर स्वयं और अन्य व्यक्तियों के नाम पर फर्जी फर्में खुलवाकर नगद धनराशि जमा कराता था, जिसे विभिन्न फर्मों के खातों के माध्यम से शैली ट्रेडर्स के खाते में भेजा जाता था। अभियुक्त ने स्पष्ट किया कि यह पूरा फर्जीवाड़ा केवल कागजों में ही किया जाता था। ई-वे बिल आदि वाराणसी स्थित माँ कामाख्या एयर कार्गो ट्रांसपोर्ट से प्राप्त किए जाते थे, जिनकी प्रतियां उसके पास मौजूद थीं। इन दस्तावेजों की प्रतियां उसने औषधि निरीक्षक, सोनभद्र को कोरियर के माध्यम से भेज दी हैं।
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