इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश के विभिन्न इंजीनियरिंग विभागों में कनिष्ठ अभियंताओं के पदों पर नियुक्ति से संबंधित दो रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है। ये याचिकाएं डिग्रीधारकों द्वारा दायर की गई थीं। न्यायालय ने पहली याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज किया। इसमें याची की ओर से बार-बार नए प्रार्थना पत्र और दस्तावेज प्रस्तुत करने की अनुमति मांगी जा रही थी, जबकि याचिका में पहले से ही 600 से अधिक पृष्ठों के दस्तावेज दाखिल किए जा चुके थे। हालांकि, हाईकोर्ट ने याची ‘ग्रेजुएट इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन’ को सभी प्रार्थनाओं और अभिवचनों के साथ नई याचिका दाखिल करने की अनुमति दी है। इसी मामले में शुभम चंद्र त्रिपाठी व अन्य द्वारा दायर दूसरी याचिका को अदम पैरवी में खारिज कर दिया गया। बहस के लिए उनकी ओर से कोई अधिवक्ता हाजिर नहीं हुआ था। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने पारित किया। इस विवाद में पहले से ही एक अंतरिम आदेश प्रभावी था, जिसके कारण सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट में याचिकाओं के अंतिम निस्तारण तक नियुक्तियों पर रोक लगा रखी थी। याचिकाओं में बताया गया था कि 7 मार्च 2024 को विभिन्न इंजीनियरिंग विभागों में कनिष्ठ अभियंताओं के लगभग 4612 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इस विज्ञापन में केवल डिप्लोमाधारकों को ही आवेदन के लिए पात्र बताया गया था, जिसे डिग्रीधारकों ने चुनौती दी थी।
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