वृंदावन के कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को गार्ड ऑफ ऑनर दिए जाने पर विवाद शुरू हो गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने योगी सरकार और यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं। अखिलेश ने कहा- जब पूरा पुलिस महकमा सलामी में व्यस्त रहेगा तो प्रदेश का अपराधी मस्त रहेगा। पुलिस अपने काम में तो नाकाम है, उसका जो काम है वो तो कर नहीं रही है, बल्कि अपनी सीमित क्षमताओं को और जगह व्यर्थ कर रही है। भाजपा राज में पनप रहे बेतहाशा अपराध और माफ़िया राज पर लगाम लगाने की बजाय सलाम-सलाम का खेल खेला जा रहा है। इस घटना का संज्ञान लेने वाला कोई है या वो भी परेड में शामिल है। भाजपा जाए तो पुलिस सही काम में लग पाए। वहीं, सांसद चंद्रशेखर ने कथावाचक को सलामी दिए जाने को संविधान पर हमला बताया। आरोप लगाया कि आस्था संविधान से ऊपर हो गई है। चंद्रशेखर ने गुरुवार को कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी का वीडियो X पर शेयर किया। उन्होंने लंबी-चौड़ी पोस्ट भी लिखी। कहा- भारत कोई मठ नहीं, बल्कि एक संवैधानिक गणराज्य है। और राज्य किसी धर्म-विशेष की जागीर नहीं। दरअसल, कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी 17 नवंबर को बहराइच पहुंचे थे। उन्होंने पुलिस लाइन में पुलिसवालों मोटिवेट किया था। यह कार्यक्रम पूरी तरह पुलिस विभाग का था। जिसमें कथावाचक के लिए रेड कारपेट बिछाया गया और उन्हें पुलिसवालों ने सलामी दी थी। DGP ने SP आरएन सिंह से मांगा स्पष्टीकरण
डीजीपी ने मामले का संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा, पुलिस परेड ग्राउंड का इस्तेमाल केवल पुलिस प्रशिक्षण, अनुशासन एवं आधिकारिक समारोहों के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार किया जाना अनिवार्य है। डीजीपी ने एसपी आरएन सिंह से स्पष्टीकरण तलब किया है। अब विस्तार से पढ़िए… भास्कर पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय दे सकते हैं… अब सांसद चंद्रशेखर की पूरी बात यह एक गलती नहीं, संविधान पर खुला हमला
सांसद चंद्रशेखर ने कहा- एक कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा परेड और सलामी दी जाती है। यह सिर्फ एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि संविधान पर खुला हमला है। सलामी और परेड राज्य की संप्रभु शक्ति का प्रतीक होती है। यह सम्मान संविधान, राष्ट्र और शहीदों के नाम पर दिया जाता है। किसी कथावाचक, बाबा या धर्मगुरु का रुतबा बढ़ाने के लिए नहीं। कथावाचकों को संवैधानिक पदों से ऊपर बैठाया जा रहा
चंद्रशेखर ने कहा- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तथाकथित रामराज्य में अब हालात ये हैं कि- आस्था को संविधान से ऊपर, धर्म को कानून से ऊपर और कथावाचकों को संवैधानिक पदों से ऊपर बैठाया जा रहा है। यह घटना बताती है कि उत्तर प्रदेश का प्रशासन अब संविधान के प्रति जवाबदेह नहीं, बल्कि धार्मिक सत्ता के आगे नतमस्तक है। राज्य धीरे-धीरे अपने संवैधानिक चरित्र को त्याग रहा
यह एक ख़तरनाक परंपरा की ओर इशारा करता है, जहां राज्य धीरे-धीरे अपने संवैधानिक चरित्र को त्याग रहा है। सवाल उठते हैं- पुंडरीक गोस्वामी हैं कौन? वे कौन-सा संवैधानिक पद धारण करते हैं? किस कानून या प्रोटोकॉल के तहत उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया? क्या अब उत्तर प्रदेश में धार्मिक पहचान ही नया सरकारी प्रोटोकॉल है? चंद्रशेखर ने कहा- मुख्यमंत्री को याद दिलाना जरूरी है… आखिर में चंद्रशेखर ने कहा- इसका साफ मतलब है। संविधान सर्वोच्च है- कोई धर्म नहीं। राज्य का कोई धर्म नहीं होता। जय भीम, जय भारत, जय संविधान, जय विज्ञान। कौन हैं पुंडरीक गोस्वामी?
कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी चैतन्य महाप्रभु भक्ति वंश के 38वें आचार्य हैं। वृंदावन में श्री राधारमण मंदिर के गोस्वामी हैं। वह कई गौशालाएं, एजुकेशनल ट्रस्ट और कल्याण ट्रस्ट चलाते हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े पुंडरीक गोस्वामी ने संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, लंदन, इटली, ज्यूरिख, स्विटजरलैंड में कथाएं की हैं। आखिर में पुलिस का पक्ष भी पढ़िए… ————————————- ये खबर भी पढ़ेःं- टीवी डिबेट देख कॉर्पोरेट जॉब छोड़ी, घरवाले बोले-पागल हो गया, IIIT वाले ने गोबर-गोमूत्र से बना डाली 10 करोड़ की कंपनी आज पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है कि जिंदगी कब और कैसे करवट बदलती है, पता ही नहीं चलता। यूरोप, अमेरिका, साउथ-ईस्ट एशिया के बड़े-बड़े कॉर्पोरेट ऑफिसेज में काम करने वाला एक लड़का गाय चरा रहा है। नमस्कार, मैं असीम रावत, पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। अब मैं गाजियाबाद के सिकंदपुर में रहता हूं। पढ़ें पूरी खबर…
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