आईआईटी कानपुर और डिकुल एएम प्राइवेट लिमिटेड के बीच बायोडिग्रेडेबल व नॉन बायोडिग्रेडेबल इंप्लांट के डिजाइन, डेवलपमेंट और निर्माण को लेकर एमओयू हुआ है। एमओयू के अंतर्गत ऑर्थोपेडिक एवं स्पाइनल उपचार के लिए मरीज-विशिष्ट, 3डी-प्रिंटेड बायोडिग्रेडेबल एवं नॉन-बायोडिग्रेडेबल इम्प्लांट्स बनाए जाएंगे। इन इम्प्लांट्स के बनने के बाद इनका क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा। इन इम्प्लांट्स की सबसे बड़ी खासियत यह होगी की यह मरीज की जरुरत के हिसाब से तैयार किया जाएगा। आईआईटी करेगा डिजाइन, वर्धा में होगा क्लिनिकल ट्रायल एमओयू के मुताबिक आईआईटी कानपुर कस्टमाइज़्ड इम्प्लांट समाधानों के डिजाइन और विकास का नेतृत्व करेगा, जबकि डिकुल एएम प्राइवेट लिमिटेड लागू नियामक मानकों के अनुरूप इनके निर्माण की जिम्मेदारी संभालेगा। वर्धा स्थित दत्ता मेघे इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च (DMIHER) इस साझेदारी में प्रमुख क्लिनिकल सहयोगी के रूप में शामिल होगा और क्लिनिकल ट्रायल्स की शुरुआत में सहयोग प्रदान करेगा। मेक इन इंडिया और विकसित भारत के अनुरुप
आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि इस प्रकार के सहयोग मेक इन इंडिया पहल और विकसित भारत अभियान 2047 के तहत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप हैं। इस परियोजना का नेतृत्व बायो साइंस एंड बायो इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो. अशोक कुमार और उनकी टीम कर रही है। यह पहल गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी की एक प्रमुख परियोजना है, जिसके वर्तमान प्रमुख प्रो. संदीप वर्मा हैं। प्रो. कुमार और प्रो. वर्मा दोनों ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के रणनीतिक अकादमिक–उद्योग–क्लिनिकल सहयोग भारत की वैश्विक चिकित्सा इम्प्लांट्स बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को उल्लेखनीय रूप से बढ़ा सकते हैं।
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