उत्तर भारत का प्रसिद्ध सिद्धपीठ मां पूर्णागिरि मेला इस वर्ष 27 फरवरी 2026 से शुरू होकर 15 जून 2026 तक चलेगा। इस संबंध में डीएम मनीष कुमार की अध्यक्षता में जिला सभागार में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में आधिकारिक तौर पर घोषणा कर दी गई है। मेले की तैयारियों को लेकर जिला प्रशासन ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इस मेले में उत्तराखंड के साथ ही उत्तर प्रदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। ऐसे में भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए सुरक्षा के लिए CCTV और आपात स्थिति में 24 घंटे एंबुलेंस की सुविधा रहेगी। बैठक में मेले के सुरक्षित और सुचारु संचालन के लिए विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई। श्रद्धालुओं की भारी संख्या को देखते हुए यातायात प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यात्रियों की सुगम आवाजाही के लिए ठुलीगाड़ से भैरव मंदिर तक शटल टैक्सी सेवा का संचालन किया जाएगा, जिससे बुजुर्गों और बच्चों को चढ़ाई में आसानी होगी। स्वास्थ्य और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होंगे श्रद्धालुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेश चौहान ने बताया कि मेला क्षेत्र में 24 घंटे दो एंबुलेंस तैनात रहेंगी। साथ ही, जगह-जगह चिकित्सा शिविर स्थापित कर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की जाएगी। सुरक्षा के दृष्टिकोण से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जाएगी और पर्याप्त पुलिस बल तैनात रहेगा। अग्निशमन सुरक्षा को लेकर कड़ा रुख अपनाते हुए प्रशासन ने प्रत्येक दुकान में अग्नि नियंत्रण यंत्र रखना अनिवार्य कर दिया है। स्वच्छता और अन्य सुविधाओं पर चर्चा बैठक में पेयजल, विद्युत आपूर्ति और सफाई व्यवस्था पर भी गहन मंथन किया गया। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि: बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष आनंद अधिकारी, उपाध्यक्ष पुष्पा विश्वकर्मा, ब्लॉक प्रमुख चंपावत अंचला बोहरा, विधायक प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी व दीपक रजवार, पूर्णागिरि मंदिर समिति के अध्यक्ष किशन तिवारी, उपाध्यक्ष नीरज पांडेय, पूर्व अध्यक्ष भुवन पाण्डे, अपर जिलाधिकारी कृष्ण नाथ गोस्वामी, मुख्य विकास अधिकारी डॉ. जी.एस. खाती, सीओ शिवराज सिंह राणा, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत कमलेश बिष्ट, अधिशासी अभियंता लोनिवि मोहन पलड़िया सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। इस बार होलियों से पहले शुरू होगा मेला विशेष बात यह है कि इस बार मां पूर्णागिरि धाम में लगने वाले मेले का आगाज होली (4 मार्च 2026) से लगभग एक सप्ताह पहले ही हो जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को त्योहार से पूर्व ही मां के दर्शन का सौभाग्य मिलेगा। यह मेला अब तक होलियों के समापन के बाद होता आया है। पौराणिक महत्व और शक्तिपीठ
मां पूर्णागिरि धाम न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत के सबसे महत्वपूर्ण शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। चम्पावत जिले के टनकपुर में अन्नपूर्णा चोटी पर स्थित यह धाम अपनी धार्मिक महत्ता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव सती के पार्थिव शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के अंग अलग किए थे। माना जाता है कि यहाँ सती की ‘नाभि’ (Navel) गिरी थी। इसी कारण इसे एक सिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है। प्राकृतिक और आध्यात्मिक संगम मां पूर्णागिरि धाम कैसे पहुंचें? मां पूर्णागिरि का मुख्य प्रवेश द्वार टनकपुर शहर है, जो चम्पावत जिले में स्थित है।
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