मऊ के एसपी इलामारन जी ने साइबर अपराधों की रोकथाम और निस्तारण के लिए पुलिस लाइन में बैठक की। बैठक में साइबर नोडल अधिकारी, साइबर थाना और साइबर सेल के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ-साथ जनपद के सभी थानों के साइबर हेल्प डेस्क के अधिकारी-कर्मचारी भी उपस्थित रहे। पुलिस अधीक्षक इलामारन जी ने आम जनता को साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए महत्वपूर्ण सलाह दी। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन ठगी का शिकार होने पर तत्काल साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें या राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं। एसपी ने अनजान लिंक पर क्लिक न करने और किसी के साथ भी अपना ओटीपी साझा न करने की भी सख्त हिदायत दी। बैठक का मुख्य उद्देश्य साइबर अपराध से संबंधित मामलों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित करना था। इसमें पंजीकृत मुकदमों की विवेचना के दौरान साक्ष्य संकलन और आगे की कानूनी कार्यवाही पर विशेष बल दिया गया।
मुख्यालय से प्राप्त निर्देशों के अनुरूप, उपस्थित अधिकारियों को साइबर अपराध के मामलों में साक्ष्य संकलन और विवेचनात्मक कार्यवाही के लिए विस्तृत प्रशिक्षण भी दिया गया। पुलिस अधीक्षक ने साइबर अपराध को इंटरनेट और कंप्यूटर के अवैध उपयोग के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने बताया कि तकनीकी प्रगति के साथ अपराधी भी नए-नए तरीके अपना रहे हैं। मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग के बढ़ते उपयोग के कारण जानकारी के अभाव में कई लोग इन अपराधों का शिकार हो जाते हैं। पुलिस आम जनता को साइबर अपराध से बचाव और सावधानियों के बारे में जागरूक करने के लिए समय-समय पर स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर कार्यशालाएं आयोजित करती है। बैठक के दौरान डिजिटल अरेस्ट, फेक कॉल, वीडियो कॉल, सिम स्वैपिंग, लोन फ्रॉड और ओटीपी/पिन फ्रॉड जैसे विभिन्न इंटरनेट-आधारित अपराधों पर विस्तृत चर्चा की गई। बैठक के अंत में, आरक्षी अमरनाथ मिश्र ने साइबर सेल द्वारा उपयोग किए जा रहे विभिन्न महत्वपूर्ण पोर्टलों की जानकारी दी। इनमें एनसीआरपी पोर्टल, समन्वय पोर्टल, मोबाइल नंबर ब्लॉकिंग, आईएमईआई ब्लॉकिंग, साइबर सलावरी, पीओएस एजेंट, साइबर जागरूकता अभियान, सहयोग पोर्टल और साइट्रेन प्रशिक्षण (ऑनलाइन) जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं, जो साइबर अपराधों से निपटने में सहायक हैं।
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