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एसआरएन अस्पताल की महिला डॉक्टर पर FIR:ऑपरेशन में पेट में स्पंज छोड़ने का आरोप, पेशेंट को दोबारा करानी पड़ी सर्जरी

प्रयागराज में चिकित्सीय लापरवाही के गंभीर मामले में स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की डॉक्टर पर FIR दर्ज हो गई है। प्रतापगढ़ जिले की रन्नो प्रजापति नाम की महिला ने आरोप लगाया था कि मार्च 2024 में हुए ऑपरेशन में डॉक्टर ने उसके पेट के अंदर काॅटन स्पंज छोड़ दिया था, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई और गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई। ऑपरेशन के बाद लगातार दर्द, डॉक्टर ने कहा— “गैस है” रन्नो प्रजापति का पहला ऑपरेशन 8 मार्च 2024 को हुआ था। वह 15 मार्च तक डॉक्टर के निरीक्षण में अस्पताल में भर्ती रहीं। इस दौरान पेट में लगातार दर्द की शिकायत पर भी डॉक्टर ने इसे “गैस की समस्या” बताकर नजरअंदाज कर दिया। 15 मार्च को डॉक्टर के निर्देश पर उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। अल्ट्रासाउंड में मिला ‘असामान्य मास’ दर्द बढ़ने पर महिला ने कई प्राइवेट स्कैन सेंटरों में जांच कराई। रिपोर्ट में पेट के अंदर mixed echogenic mass और ‘Gossypiboma’ यानी ऑपरेशन के दौरान छूटे स्पंज की आशंका सामने आई। 27 जुलाई को दोबारा ऑपरेशन, पेट से निकला स्पंज हालत बिगड़ने पर 27 जुलाई 2024 को श्याम हॉस्पिटल एंड मैटरनिटी सेंटर में उनका दोबारा ऑपरेशन किया गया। परिजनों का कहना है कि इस सर्जरी के दौरान डॉक्टरों ने महिला के पेट से बड़ी मात्रा में काॅटन स्पंज निकाला। पूरा ऑपरेशन वीडियो में रिकॉर्ड हुआ, जिसे महिला ने पेन ड्राइव के साथ अदालत में सौंपा था। गर्भस्थ शिशु की मौत, भारी खर्च और मानसिक पीड़ा परिवार का आरोप है कि काॅटन स्पंज पेट में रह जाने के कारण गर्भ में ही शिशु की मौत हो गई। महिला की जान भी खतरे में पड़ गई और दोबारा सर्जरी में भारी रकम खर्च करनी पड़ी। महिला ने पहले कोतवाली और फिर पुलिस आयुक्त को शिकायत दी थी। शिकायत पर कार्रवाई न होने पर उन्होंने न्यायालय का रुख किया। अदालत के आदेश पर अब थाना कोतवाली, प्रयागराज में डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है। एफआईआर में डॉक्टर सौम्या सक्सेना के खिलाफ गंभीर लापरवाही, मरीज की जान को खतरे में डालने और ऑपरेशन प्रक्रिया में अनियमितता जैसे आरोप शामिल हैं। मामले की जांच शुरू एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की विवेचना शुरू कर दी है। महिला द्वारा दिए गए ऑपरेशन वीडियो, जांच रिपोर्ट, और मेडिकल दस्तावेज विवेचना में अहम साक्ष्य माने जा रहे हैं।


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