अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में अब बच्चों की सर्जरी भी शुरू हो चुकी है। पीडियाट्रिक सर्जन डा. श्रेयस ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। कुशीनगर निवासी एक 11 साल के बच्चे का अपेंडिक्स का आपरेशन कर सर्जरी की शुरूआत भी कर दी गई है। इस सर्जरी से बच्चे को राहत मिल गई है। अब एम्स गोरखपुर में बच्चों के पेट, आंतों की रुकावट, सांस की नली में फंसी वस्तुओं को निकालने एवं मूत्राशय से जुड़ी समस्याओं को दूर किया जा सकेगा।
गोरखपुर एम्स में सुपर स्पेशियलिटी की सुविधाएं धीरे-धीरे बढ़ाई जा रही हैं। इससे पहले न्यूरो सर्जन के ज्वाइन करने से न्यूरा से संबंधित सर्जरी भी शुरू हो चुकी है। अब बच्चों के सर्जन के आने से इसकी भी सर्जरी शुरू हो गई है। इससे पहले बच्चों की सर्जरी के लिए लोगों को शहर से बाहर जाना पड़ता था। बच्चा एम्स आया तो गंभीर थी हालत कुशीनगर का 11 वर्षीय बच्चा सात दिन से पेट दर्द, उल्टी, सुस्ती, सेप्टिक शॉक और सांस की दिक्कत से जूझ रहा था। इमरजेंसी में भर्ती करने के अगले दिन उसका ऑपरेशन किया गया। जांच में अपेंडिक्स फटी मिली और पेट में लगभग 500 मिलीलीटर पायोपेरिटोनियम तथा फेकोलिथ भी पाया गया। जनरल सर्जरी टीम की मदद से किया गया यह ऑपरेशन सफल रहा और बच्चा तेजी से स्वस्थ हो रहा है। निजी अस्पताल में जहां यह सर्जरी लगभग दो लाख रुपये की होती, वहीं एम्स में मात्र 15 हजार रुपये में उपचार संभव हो पाया। जानिए कौन हैं डा. श्रेयस
डा. श्रेयस ने गोरखपुर एम्स में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में ज्वाइन किया है। उन्होंने कर्नाटक के हुबली स्थित केआईएमएस से एमबीबीएस किया है। एम्स जोधपुर से उन्होंने पीडियाट्रिक सर्जरी में एमसीएच किया है। अलग-अलग मेडिकल कालेजों में अपनी सेवा दे चुके हैं। उनके शोध कार्य प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने ब्रिटिश एसोसिएशन आफ पीडियाट्रिक सर्जन्स एवं यूरोपियन सोसाइटी ऑफ पीडियाट्रिक एंडोस्कोपिक सर्जन्स के अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। डा. श्रेयस ने कहा कि बच्चों को गंभीर हाल में लखनऊ, पटना या दिल्ली भेजने की जरूरत कम रहेगी। एम्स में ही उच्च स्तरीय सुविधा उपलब्ध होगी। उन्होंने कहा कि कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डा. विभा दत्ता के मार्गदर्शन में मरीजों को काफी लाभ होगा। एम्स की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डा. विभा दत्ता ने कहा कि बाल शल्य चिकित्सा विभाग शुरू होने से पूर्वांचल, बिहार व नेपाल से आने वाले बच्चों को समय से बेहतर सर्जरी की सुविधा मिल सकेगी। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए यह कापुी लाभकारी होगा।
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