पूर्वी उत्तर प्रदेश में 9 दशक से अधिक समय से शैक्षिक क्रांति के अग्रदूत के रूप में प्रतिष्ठित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद (MPSP) के 93वें संस्थापक सप्ताह समारोह का भव्य शुभारंभ गुरुवार,4 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में होगा। मुख्यमंत्री, बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर इस शिक्षा परिषद के मुख्य संरक्षक हैं। गुरुवार सुबह 9:30 बजे से होने वाले उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण (SDRA) के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी उपस्थित रहेंगे। संस्थापक सप्ताह समारोह का समापन 10 दिसंबर को होगा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह शामिल होंगे। इसमें हजारों विद्यार्थी शामिल होंगे। एक सप्ताह तक शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद की गतिविधियां आयोजित होंगी। MPSP के तहत 50 से अधिक शिक्षण संस्थाएं संचालित होती हैं। इनमें अध्ययनरत छात्र-छात्राएं उद्घाटन समारोह के साक्षी बनेंगे। इसके बाद पूरे सप्ताह तक अलग-अलग संस्थानों में अलग-अलग गतिविधियों का आयोजन होगा। समापन अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाएगा। अकादमिक प्रतियोगिताओं में गोरखपुर मंडल के 125 से अधिक शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान प्रतिभाग करते हैं, जबकि भाषण एवं खेल-कूद की प्रतियोगिताओं जैसे वॉलीबाल, बास्केटबाल में पूरे प्रदेश से प्रतिभागी अपनी प्रतिभागिता सुनिश्चित करते हैं। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का संस्थापक सप्ताह समारोह, परिषद के संस्थापक ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और विस्तारक ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्य स्मृतियों में आयोजित किया जाता है। राष्ट्रीयता से ओतप्रोत और मूल्यपरक आदर्श शिक्षा के प्रसार के उद्देश्य से इस शिक्षा परिषद की स्थापना सीएम योगी एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ ने की थी। उनके बाद योगी के गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने इसे पुष्पित, पल्लवित किया। परिषद को शैक्षिक वटवृक्ष बनाने का श्रेय योगी आदित्यनाथ को जाता है, जिनके संरक्षण में इस परिषद की 50 से अधिक संस्थाएं शिक्षा, चिकित्सा और सेवा क्षेत्र में समाज की अनथक सेवा कर रही हैं। निकाली जाएगी भव्य शोभायात्रा
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद संस्थापक सप्ताह समारोह संचालन समिति के सदस्य डॉ. नितीश शुक्ल ने बताया कि बुधवार को कार्यक्रम स्थल पर मुख्य अतिथि और समारोह अध्यक्ष के संबोधन के बाद मुख्य अतिथि शिक्षा परिषद के दर्जनों संस्थाओं के विद्यार्थियों द्वारा निकाली जाने वाली भव्य शोभा यात्रा की सलामी लेंगे। शोभा यात्रा महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद परिसर से निकलकर अपने निर्धारित मार्ग से होते हुए जिला परिषद रोड पर स्थित शताब्दी द्वार से पुनः महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद परिसर में प्रवेश करेगी। उद्घाटन समारोह को भव्य बनाने के लिए एक हजार से अधिक शिक्षक कर्मचारी एवं स्वयं सेवक लगे रहेंगे। शोभा यात्रा के दौरान अनुशासन, श्रेष्ठ पथ संचलन के साथ-साथ जन-जागरण को प्रदर्शित करने वाली झांकिया एवं नारे मुख्य आकर्षण होंगे। जानिए एमपी शिक्षा परिषद के बारे में
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में गोरखपुर की ख्याति नॉलेज सिटी के रूप में भी बन रही है और इसमें महती भूमिका गोरक्षपीठ के अंतर्गत संचालित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की भी है। नौ दशक से अधिक समय से राष्ट्रीयतापरक शिक्षा की अलख जगा रहे महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का विस्तार पचास से अधिक संस्थाओ के जरिये प्राथमिक शिक्षा से लेकर विश्वविद्यालय शिक्षा तक हो चुका है। देश जिस दौर में अंग्रेजी हुकूमत से त्रस्त था, तब 1932 में भारत और भारतीयता आधारित शैक्षिक पुनर्जागरण के लिए गोरक्षपीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप के नाम पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। उनके बाद इस परिषद की संरचना को विस्तारित किया वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने। पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा के प्रसार से राष्ट्रीयता, मूल्यपरकता और स्वावलंबन को मजबूत करने के दादागुरु और अपने गुरुदेव के संकल्पो को विभिन्न प्रकल्पों के विस्तार से पूरा करने का बीड़ा योगी आदित्यनाथ ने उठा रखा है। एजुकेशन हब के रूप में विकसित गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद 9 दशक से अधिक समय से प्रकाश स्तम्भ की भूमिका में है। गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों ने इस स्तम्भ से प्रकाश पुंज का फैलाव निरंतर बढ़ाया है। महाराणा प्रताप परिषद का प्राथमिक शिक्षा से लेकर निजी विश्वविद्यालय तक हो चुका विस्तार इसकी शैक्षिक सेवा यात्रा का साक्षी है। इस साल एमपी शिक्षा परिषद का 93वां स्थापना वर्ष है और गोरक्षपीठ का यह शैक्षिक प्रकल्प स्थापना के प्रथम वर्ष से ही ज्ञान की मशाल को अहर्निश प्रज्ज्वलित किए हुए है। आयुर्वेद कॉलेज से लेकर मेडिकल कॉलेज को समेटे महायोगी गुरु गोरखनाथ विश्वविद्यालय खुद महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का विस्तृत पड़ाव है तो पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस अंचल में स्थापित पहले विश्वविद्यालय, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना में भी इस परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ द्वारा 1932 में बक्शीपुर में किराए के मकान में स्कूल खोलने के साथ महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की यात्रा प्रारंभ हुई। 1935 में जूनियर हाईस्कूल की मान्यता मिली और 1936 से हाईस्कूल तक की भी पढ़ाई शुरू हो गई। इस बीच महंत दिग्विजयनाथ के प्रयास से सिविल लाइंस में जमीन मिल गई और यह हाईस्कूल यहां शिफ्ट हो गया। महाराणा प्रताप के नाम शुरू हुआ शैक्षिक जागरण का प्रकल्प इंटर कॉलेज होते हुए 1949-50 तक डिग्री कॉलेज तक पहुंचा। भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों के अनुरूप शिक्षा के प्रति प्रतिबद्ध इस संस्था के संस्थापक ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ को गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना का भी श्रेय जाता है जिन्होंने 1958 में अपने द्वारा स्थापित महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज और महिला महाविद्यालय को विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु समर्पित कर दिया। उनके बाद उनके शिष्य तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने इस शिक्षा परिषद के जरिये ज्ञान के प्रसार का क्रम आगे बढ़ाया। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का प्रबंधकीय दायित्व संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने इसके ज्ञानदायी कार्यक्षेत्र को कई आयामों से विस्तार दिया है। वर्तमान में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अंतर्गत प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा, अंग्रेजी, संस्कृत, तकनीकी शिक्षा (पॉलीटेक्निक एवं इंजीनियरिंग कॉलेज), मेडिकल (एमबीबीएस और बीएएमएस) पैरामेडिकल (नर्सिंग) के दर्जनों संस्थान संचालित हैं। इसमें सबसे बड़ा प्रकल्प है महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय। वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर के संरक्षण में परिषद का खास जोर प्राविधिक, तकनीकी, चिकित्सा शिक्षा के साथ महिला शिक्षा पर भी है। परिषद द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों का कार्यक्षेत्र गोरखपुर के अलावा महराजगंज, कुशीनगर, देवीपाटन और वाराणसी तक है।
https://ift.tt/iLxOF7Z
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply