उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने के नाम पर उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाला जा रहा है। उपभोक्ता परिषद का दावा है कि सिंगल फेज स्मार्ट मीटर की असली कीमत सिर्फ 2,630 से 2,825 रुपए है। उसी मीटर के नाम पर बिजली निगम उपभोक्ताओं से 6,016 रुपए वसूल रहा है। यानी एक मीटर पर सीधे-सीधे 130% से ज्यादा का मुनाफा वसूल लिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सारे साक्ष्य उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दाखिल कर किए। परिषद के अध्यक्ष व केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा, “ये सिर्फ मीटर घोटाला नहीं, 8,500 करोड़ रुपए का खुला लूट-खसोट का मामला है। असली इनवॉयस में क्या लिखा है? इन टैली स्मार्ट (टेंडर जीतने वाली कंपनी) ने दो निर्माता कंपनियों से मीटर खरीदे हैं। पहली एपल टोन इंजीनियर्स लिमिटेड के मीटर हैं। इसकी कीमत 2,630 प्रति मीटर है। वहीं दूसरी सानायडर कंपनी के मीटर हैं। इसकी कीमत 2,825 प्रति मीटर है। परिषद का दावा है कि उस पास दोनों बिल (रसीद) हैं। उपभोक्ता से 130% अधिक कीमत वसूली जा रही है यूपी पावर कार्पोरेशन ने नए कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाना अनिवार्य कर दिया। इसके लिए बिना नियामक आयोग की मंजूरी के उपभोक्ताओं से 6,016 रुपए वसूले जा रहे हैं। नियामक आयोग की आपत्ति पर कार्पोरेशन की ओर से झूठा दावा भी किया गया। बताया कि मीटर की खरीद लागत 7 से 9 हजार रुपए पड़ रहा है। यही कारण है कि कापोर्रेशन ने केंद्र सरकार ने यूपी में स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट को मंजूरी देते हुए 18,885 करोड़ जारी किए थे। इसके बावजूद कॉर्पोरेशन ने 27,342 करोड़ का टेंडर निकाला। मतलब 8,457 करोड़ रुपए अतिरिक्त में टेंडर जारी किया गया। सीपीआरआई लैब टेस्ट में भी फेल हो रहे मीटर परिषद का दावा है कि एप्पल टोन कंपनी का सिंगल फेज स्मार्ट मीटर तो CPRI लैब में टेस्ट में भी फेल हो चुका है। फिर भी उसी कंपनी से लाखों मीटर खरीदे जा रहे हैं। परिषद ने नियामक आयोग में याचिका लगाते हुए स्मार्ट मीटर परियोजना की सीबीआई से जांच की मांग की है। वहीं 6,016 की अवैध वसूली तुरंत बंद हो। उपभोक्ताओं से ली गई अतिरिक्त राशि ब्याज सहित लौटाई जाए। ऊंची दरों पर टेंडर देने वाले अधिकारियों–कंपनियों पर तुरंत कार्रवाई करें। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कहा, “जब हमने पहले विरोध किया था तो पावर कॉरपोरेशन ने REC को चिट्ठी लिखी थी। वहां से जवाब आया कि पूरा सिस्टम मिलाकर 6,000 तक का अनुमान है। अब साबित हो गया कि मीटर खुद ही 2,800 का है, बाकी 3,200 रुपए कहां गायब हो रहे हैं?”
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