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एक्सप्रेस-वे पर हर साल 5000 हादसे कैसे रुकेंगे:देश में एक्सीडेंट में मरने वालों में हर 7वां यूपी का, अमेरिका-यूरोप से सीख लेनी होगी

मथुरा में 16 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेस-वे पर 13 गाड़ियां आपस में टकरा गईं। हादसा घने कोहरे की वजह से हुआ। इसमें 19 लोग जिंदा जल गए, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए। यूपी के 1200 किमी वाले 6 एक्सप्रेस-वे पर हर साल 5 हजार से अधिक हादसे और 550 से अधिक मौतें हो रही हैं। सवाल है, हमारे देश में कोहरा आते ही हाईवे और एक्सप्रेस-वे हादसों के हॉटस्पॉट बन जाते हैं। लेकिन, अमेरिका और यूरोप में कोहरे के बावजूद एक्सीडेंट बहुत कम होते हैं। एक्सपर्ट की मानें, तो यूपी में अगर अमेरिका-यूरोप की 4 टेक्नॉलॉजी अपना ली जाएं तो यहां एक्सप्रेस-वे पर होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। अमेरिका-यूरोप में रोड सेफ्टी के इंतजाम क्या हैं? वहां वाहनों में किस तरह के सेफ्टी फीचर हैं? कोहरे में एक्सीडेंट से बचाव के लिए क्या इंतजाम हैं? पढ़िए यह रिपोर्ट… कोहरे में हादसों पर कैसे कंट्रोल करते हैं अमेरिका-यूरोप?
वीरेंद्र सिंह राठौड़ राजस्थान में सड़क सुरक्षा को लेकर कई प्रयोग कर चुके हैं। वह कहते हैं- विदेशों में खासकर अमेरिका और यूरोप में 4 तरह के व्हीकल-टू-व्हीकल सिस्टम, व्हीकल-टू-इंफ्रास्ट्रक्चर, व्हीकल-टू-एनवायरमेंट और ड्राइविंग के सख्त नियम से ट्रैफिक मैनेजमेंट किया जाता है। खबर में आगे बढ़ने से पहले इस पोल पर अपनी राय दीजिए… अमेरिका और यूरोप के वाहनों में क्या एडवांस सिस्टम
अमेरिका और यूरोप की गाड़ियों में ऑटोमैटिक इमरजेंसी ब्रेक, फॉरवर्ड कोलिजन वार्निंग, लेन डिपार्चर अलर्ट जैसी सुविधाएं आम हैं। कोहरा बढ़ते ही लो-बीम और फॉग लाइट अपने आप ऑन हो जाती हैं। अधिक कोहरा, तूफान या तेज बारिश होने पर जब दृश्यता शून्य पहुंच जाती है, तो मौसम विभाग और ट्रैफिक पुलिस मिलकर SMS, रेडियो, मोबाइल एप पर अलर्ट जारी करते हैं। जरूरत पड़ने पर हाईवे को अस्थायी रूप से बंद भी कर दिए जाते हैं। जबकि अपने देश में कोहरे की समस्या ज्यादा गंभीर है, लेकिन सेंसर आधारित स्पीड कंट्रोल नहीं है। इसी तरह रोड मार्किंग भी कमजोर है। फॉग ड्राइविंग की अलग से ट्रेनिंग नहीं दी जाती। मौसम विभाग और ट्रैफिक पुलिस का यहां कोई समन्वय ही नहीं। यूपी के एक्सप्रेस-वे और वाहनों में क्या नहीं है, क्यों नहीं है, क्या महंगा है
ट्रैफिक एक्सपर्ट वीरेंद्र सिंह बताते हैं- एडवांस सिस्टम वाले वाहन इंडिया में आ चुके हैं। 20 लाख से ऊपर के वाहनों में विदेशों जैसी तकनीक है। लेकिन, देश में ऐसे वाहनों की संख्या 10 फीसदी ही है। हमारे यहां उन्नत तकनीक वाले वाहनों के हिसाब से रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। साथ ही ड्राइवर भी उतने कुशल नहीं होते, जो सिग्नल को आसानी से समझ सके। सस्ते वाहनों में भी लोग 80 हजार से एक लाख रुपए खर्च कर एडवांस सिस्टम लगवा सकते हैं। ऐसे सिस्टम वाहनों में हो, इसके लिए सरकार को अनिवार्य गाइडलाइन जारी करनी होगी। एक्सप्रेस-वे पर कोहरे में क्यों होते हैं ज्यादा हादसे
वरिष्ठ वकील एवं रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट केसी जैन के मुताबिक, ठंड के मौसम में पूरे प्रदेश में कोहरा पड़ता है। रात 10 से सुबह 8 बजे तक इसका असर सबसे अधिक रहता है। कई स्थानों पर दृश्यता शून्य तक पहुंच जाती है। इसके बावजूद चालक रफ्तार कम नहीं करते। कोहरा और तेज रफ्तार एक्सप्रेस-वे पर हादसों की बड़ी वजह है। प्रदेश में 6 एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 1,225 किमी है। वहीं, नेशनल हाईवे 12,292 किमी और स्टेट हाईवे की लंबाई लगभग 13 हजार किमी है। यूपी रोड एक्सीडेंट डाटा डैशबोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में हर साल होने वाले सड़क हादसों में करीब 10 फीसदी दुर्घटनाएं केवल कोहरे की वजह से होती हैं। पिछले तीन साल में सबसे अधिक हादसे नेशनल हाईवे पर 27 फीसदी, स्टेट हाईवे पर 14 फीसदी और एक्सप्रेस-वे पर 3 फीसदी दर्ज किए गए। साल-2024 में ओवरस्पीड के कारण प्रदेश में 12,010 मौतें हुईं, जबकि साल- 2023 में यह संख्या 8,726 थी। मौतों में यह बढ़ोतरी एक्सप्रेस-वे के बढ़ते नेटवर्क की ओर इशारा करती है। अकेले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर साल- 2021 से सितंबर 2025 के बीच 7,024 हादसों में 811 लोगों की मौत हुई। प्रदेश के सभी 6 चालू एक्सप्रेस-वे पर 2,829 लोगों की मौत हो चुकी है। अपने ही प्रयोग को भुला बैठी यूपीडा, हादसे के बाद टूटी नींद
रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट केसी जैन बताते हैं- 18 दिसंबर, 2022 को यमुना एक्सप्रेस-वे पर अलीगढ़-एटा मार्ग के पास कोहरे से रोडवेज की 6 बसें आपस में टकरा गई थीं। इसके बाद निगम के इतिहास में पहली बार कोहरे के चलते बसों का संचालन रोका गया था। तब आदेश जारी किया गया था कि कोहरे के दौरान बसों को सार्वजनिक स्थानों पर रोका जाएगा। इसी तरह का निर्देश अन्य वाहनों के लिए भी लागू था। बहुत जरूरी होने पर ही 40-50 वाहनों को एक साथ टोल गेट से छोड़ा जाता था। लेकिन, यह व्यवस्था बाद में यूपीडा ने भुला दी। यूपी में पिछले दिनों हुए 5 बड़े हादसे और कोहरे का कनेक्शन
यूपी में हाल के दिनों में हुए 5 बड़े सड़क हादसों से यह साफ है कि कोहरा जानलेवा साबित हो रहा है। यमुना एक्सप्रेस-वे से लेकर बुंदेलखंड और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे तक, लगभग सभी हादसों में कोहरा और तेज रफ्तार मुख्य कारण रहे। ये सभी दुर्घटनाएं देर रात 1 से सुबह 9 बजे के बीच हुईं। यानी उस समय, जब कोहरे का प्रभाव सबसे ज्यादा रहता है। दृश्यता 10 मीटर से भी कम, और कई स्थानों पर शून्य तक पहुंच जाती है। यमुना एक्सप्रेस-वे (मथुरा जिला) : 16 दिसंबर बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे (हमीरपुर जिला) : 14 दिसंबर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे (उन्नाव जिला) : 14 दिसंबर ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे (ग्रेटर नोएडा) : 13 दिसंबर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे : 16 दिसंबर रोड एक्सीडेंट में मरने वालों में हर 7वां यूपी का
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सड़क हादसों में मरने वाले हर 7वें व्यक्ति की मौत यूपी में होती है। साल- 2024 में देशभर में सड़क हादसों में 1 लाख 77 हजार 177 लोगों की जान गई। इनमें से 24 हजार 118 मौतें यूपी में हुईं। यह कुल मौतों का 13.61 फीसदी है। इसी अवधि में देशभर में कुल 4 लाख 87 हजार 705 सड़क हादसे हुए। जिनमें 46 हजार 52 हादसे यूपी में दर्ज किए गए, जो 9.44 फीसदी है। वाहनों में एडवांस सेफ्टी फीचर अनिवार्य और ड्राइविंग लाइसेंस के नियम हों सख्त
केसी जैन का कहना है कि भारत में यूरोप और अमेरिका की तरह वाहनों में एडवांस सेफ्टी फीचर अनिवार्य नहीं हैं। यहां वाहन खरीदते समय कीमत को प्राथमिकता दी जाती है। 20 लाख से महंगे वाहनों में तो सेफ्टी फीचर हैं, लेकिन सड़क पर चल रहे करीब 90 फीसदी वाहनों में ये सुविधाएं नहीं हैं। वहीं, देश में ड्राइविंग लाइसेंस के नियम बेहद ढीले हैं। यहां बिना पर्याप्त ट्रेनिंग लाइसेंस मिल जाता है। सड़क पर चल रहे 90 फीसदी ड्राइवरों को यातायात नियमों की बुनियादी जानकारी तक नहीं। भारत सरकार सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को दोनों मामलों में सख्त और अनिवार्य नियम लागू करने चाहिए। अब एक्सप्रेस-वे पर एक्सीडेंट रोकने ये उठा रहे कदम
प्रदेश यातायात विभाग के मुताबिक, यूपी में कुल 1,484 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं, जहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। इनमें एक्सप्रेस-वे पर 24, नेशनल हाईवे पर 965, स्टेट हाईवे पर 221 और अन्य सड़कों पर 274 ब्लैक स्पॉट शामिल हैं। हादसों पर अंकुश लगाने के लिए अवैध कट बंद करने और सड़क इंजीनियरिंग की खामियों को दूर करने के निर्देश एनएचएआई, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम और अन्य एजेंसियों को दिए हैं। यूपीडा में मुख्य सुरक्षा अधिकारी राजेश पांडेय के मुताबिक, इस बार कोहरा कुछ पहले शुरू हो गया है। यमुना एक्सप्रेस-वे पर हादसे की वजह भी कोहरा ही है। पानी वाले स्थान जैसे नदी, नाले, तालाब के पास कोहरा अधिक पड़ता है। 50 मीटर से कम दृश्यता होने पर टोल पर ही वाहनों को रोक दिया जाएगा। फिर ग्रुप में आगे रवाना किया जाएगा। यूपीडा सीईओ के निर्देश पर 15 फरवरी तक वाहनों की स्पीड लिमिट कम किया जा चुका है। सभी एक्सप्रेस-वे के दोनों छोर पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में भीषण कोहरा क्यों? 4 दिन में 28 मौतें, एक्सप्रेस-वे सबसे ज्यादा खतरनाक यूपी में 4 दिनों में कोहरे के चलते 150 से ज्यादा गाड़ियां टकराईं। 28 की जान चल गई। एक्सप्रेस-वे पर स्थिति सबसे ज्यादा खतरनाक है। 5-10 मीटर विजिबिलिटी जानलेवा साबित हो रही है। धुंध अचानक से गाड़ियों को सामने आ रही है। स्पीड धीमी करते ही पीछे से गाड़ियां टकरा रही हैं। पढ़ें पूरी खबर


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