उन्नाव रेप केस में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत के खिलाफ पीड़ित परिवार और सोशल एक्टिविस्ट ने दिल्ली HC के बाहर प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को कंडिशनल बेल नहीं मिलनी चाहिए। हालांकि, पुलिस ने प्रोटेस्ट करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा- यहां प्रोटेस्ट करना मना और गैर-कानूनी है। पांच मिनट बाद आपके खिलाफ लीगल एक्शन लिया जा सकता है। अगर आपको प्रोटेस्ट करना है, तो जंतर-मंतर पर जाएं। पीड़ित की मां ने कहा- बेल रिजेक्ट होनी चाहिए। हम लोग इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। हमारा हाई कोर्ट से भरोसा उठ गया है। अगर हमें सुप्रीम कोर्ट में इंसाफ नहीं मिला, तो हम दूसरे देश जाएंगे। मेरे पति की हत्या के दोषी को तुरंत फांसी दी जानी चाहिए। महिला एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने कहा – वे उन्नाव रेप विक्टिम के लिए इंसाफ की मांग करने के लिए शांति से दिल्ली हाई कोर्ट गईं और अपील की कि उनकी पिटीशन पर सुनवाई । अगर इंसाफ नहीं मिला तो हम भी प्रदर्शन करेंगे। आज, हम शांति से हाई कोर्ट में अपील करने आए हैं कि हमारी बेटी के साथ हुआ अन्याय रद्द किया जाए और हम जो पिटीशन फाइल करने वाले हैं, उस पर सुनवाई हो। अगर हमें इंसाफ नहीं मिला तो हम प्रदर्शन करेंगे, ये हमारा हक है। कांग्रेस लीडर मुमताज पटेल ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना करते हुए कहा- ये बहुत बड़ा झटका है। यह फैसला देश भर की महिलाओं के कॉन्फिडेंस को कम करता है। जिस तरह से हाई कोर्ट ने सेंगर को एक टेक्निकैलिटी पर फ्री पास दे दिया है। यह देश में एक बहुत बुरा उदाहरण पेश कर रहा है। इस फैसले से उनका कॉन्फिडेंस कितना टूटा होगा। सिर्फ उनका ही नहीं, बल्कि देश भर की महिलाओं का भी कांफिडेंस टूटेगा। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में पूर्व MLA कुलदीप सिंह सेंगर की सजा को सस्पेंड करते हुए बेल दे दी है। उन्हें दिल्ली CBI कोर्ट ने नाबालिग से रेप केस में दोषी ठहराया था और वह उम्रकैद की सज़ा काट रहे थे। उन्हें इस शर्त पर राहत दी गई है कि वह 15 लाख रुपये का बेल बॉन्ड भरें। हालांकि, वह कस्टडी में ही रहेंगे क्योंकि उन्हें अभी तक पीड़िता के पिता की कस्टोडियल डेथ मामले में बेल नहीं मिली है। सजा सस्पेंड करने के लिए एक अपील और एप्लिकेशन दिल्ली हाई कोर्ट में पेंडिंग है। उन्हें उस केस में 10 साल की सज़ा मिली थी। बेल देते हुए, हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सेंगर दिल्ली में पीड़िता के घर के 5 किलोमीटर के इलाके में नहीं जाएंगे। यह भी निर्देश दिया गया है कि सेंगर दिल्ली में ही रहेंगे। वह पीड़िता के परिवार वालों से कॉन्टैक्ट नहीं करेंगे। वह 7 साल 5 महीने से जेल में है। तय सजा से ज्यादा वक्त जेल में काट चुका है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन हो सकता है। इतना कहने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने उन्नाव रेप केस में दोषी और 4 बार के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सजा सस्पेंड करने का फैसला सुना दिया। इस फैसले पर पीड़ित ने आपत्ति जताई। कहा- जब बहस 3 महीने पहले पूरी हुई तो फैसला इतना लेट क्यों आया? जरूर इसमें सब सेटिंग हुई है। जज साहब भी आए, खड़े-खड़े फैसला सुनाकर चले गए। हम लोगों को कुछ बोलने ही नहीं दिया। अब सवाल है कि आखिर कुलदीप की सजा सस्पेंड करने के पीछे क्या-क्या वजह है?
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