उन्नाव के गंगाघाट क्षेत्र में अहमद नगर मुन्नू बगिया में निर्माणाधीन 5 एमएलडी क्षमता का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। गंगा नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई इस 65 करोड़ रुपये की परियोजना का 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। यह प्रोजेक्ट मार्च 2021 में शुरू हुआ था और इसे पूरा होने में चार साल नौ माह का समय लगा है। नगर पालिका परिषद गंगाघाट के अधिशासी अधिकारी मुकेश कुमार मिश्रा ने हाल ही में जल निगम की टीम के साथ एसटीपी साइट का गहन निरीक्षण किया। इस दौरान निर्माण कार्य की प्रगति, तकनीकी पहलुओं और शेष बचे कार्यों की विस्तृत समीक्षा की गई। जल निगम के अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि 31 दिसंबर तक एसटीपी का ट्रायल रन शुरू कर दिया जाएगा। सफल ट्रायल के बाद प्लांट को पूर्ण रूप से चालू कर दिया जाएगा। निरीक्षण टीम में पालिका ईओ मुकेश कुमार मिश्रा के साथ जेई घनश्याम मौर्य, स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) प्रभारी अनूप शुक्ला, जल निगम के अधिशासी अभियंता पुनीत कुमार, जेई यशवंत कुमार और कार्यदायी संस्था के इंजीनियर शामिल थे। अधिकारियों ने मौके पर एसटीपी की विभिन्न यूनिट्स, मशीनरी, ट्रीटमेंट टैंकों और आउटलेट सिस्टम का जायजा लिया। जल निगम के अधिकारियों के अनुसार, एसटीपी के चालू होने से गंगाघाट क्षेत्र के प्रमुख नालों से आने वाला दूषित पानी सीधे गंगा में नहीं गिरेगा। इसे पहले ट्रीट किया जाएगा और फिर मानकों के अनुरूप साफ पानी गंगा में छोड़ा जाएगा। इससे नदी के प्रदूषण स्तर में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है। यह परियोजना गंगा प्रदूषण नियंत्रण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हालांकि एसटीपी को चालू करने की राह में अभी भी एक बड़ी तकनीकी चुनौती बनी हुई है। गंगा में गिरने वाले मिश्रा कॉलोनी के नाले की टेपिंग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। यही नाला इस परियोजना में सबसे बड़ी अड़चन बनकर सामने आया है। निरीक्षण के दौरान जल निगम के अधिशासी अभियंता ने नाले की स्थिति का जायजा लिया। जांच में सामने आया कि एक स्थान पर नाले का बेस काफी ऊंचा है, जिसके चलते सीवर का पानी आगे मुख्य लाइन में प्रवाहित नहीं हो पा रहा है।
इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए जल निगम द्वारा पंपिंग स्टेशन बनाने पर विचार किया जा रहा है। पंपिंग स्टेशन बनने से नाले के पानी को लिफ्ट कर मुख्य सीवर लाइन तक पहुंचाया जा सकेगा। हालांकि इससे परियोजना की लागत और समय दोनों बढ़ने की संभावना है। वहीं नगर पालिका प्रशासन ने इसके विकल्प के तौर पर सुझाव दिया कि मिश्रा कॉलोनी के नाले के पानी को दूसरी दिशा में बनी नालियों के माध्यम से मुख्य लाइन में जोड़ा जा सकता है। इससे पंपिंग स्टेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी और खर्च भी कम होगा। नाले की समस्या के समाधान और संभावित लागत को लेकर जल निगम और नगर पालिका के अधिकारियों के बीच मौके पर ही विस्तार से चर्चा हुई। दोनों विभागों ने जल्द से जल्द तकनीकी निर्णय लेकर समस्या का समाधान करने पर सहमति जताई, ताकि एसटीपी को तय समय पर चालू किया जा सके। अहमद नगर मुन्नू बगिया में बन रहा यह एसटीपी न सिर्फ गंगाघाट बल्कि आसपास के शहरी क्षेत्रों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसके संचालन में आने से हजारों घरों से निकलने वाला सीवेज पानी वैज्ञानिक तरीके से ट्रीट होगा, जिससे गंगा में गंदे पानी की सीधी निकासी पर रोक लगेगी। लंबे समय से गंगा की स्वच्छता को लेकर उठ रहे सवालों के बीच यह परियोजना एक बड़ी राहत के रूप में देखी जा रही है। पालिका अधिशासी अधिकारी मुकेश कुमार मिश्रा ने निरीक्षण के दौरान कहा कि एसटीपी के चालू होने से गंगाघाट क्षेत्र में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को नई दिशा मिलेगी। उन्होंने जल निगम और कार्यदायी संस्था को शेष कार्य जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि नगर पालिका हर स्तर पर सहयोग करेगी, ताकि परियोजना बिना किसी और देरी के जनता को समर्पित की जा सके। 4 साल 9 माह में भी पूरा नहीं हो सका काम
मार्च 2021 में शुरू हुए 5 एमएलडी क्षमता के एसटीपी का निर्माण कार्य चार साल नौ माह बाद भी पूरी तरह पूरा नहीं हो सका है। निर्धारित समय सीमा काफी पहले समाप्त हो चुकी है। जल निगम की निगरानी में कार्यदायी संस्था अब तक लगभग 95 प्रतिशत काम ही पूरा कर पाई है, जबकि करीब 5 प्रतिशत कार्य अभी भी शेष है। विभागीय स्तर पर देरी को लेकर कई बार सवाल भी उठ चुके हैं। मिश्रा कॉलोनी का नाला बना सिरदर्द
मिश्रा कॉलोनी से गंगा में गिरने वाला नाला एसटीपी से जोड़ने में सबसे बड़ी बाधा बन गया है। नाले का बेस ऊंचा होने के कारण सीवर का पानी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जल निगम पंपिंग स्टेशन बनाने की योजना पर विचार कर रहा है, जबकि नगर पालिका ने वैकल्पिक नालियों के जरिए जोड़ने का सुझाव दिया है। 15 साल का मेंटीनेंस भी शामिल
65 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे इस एसटीपी प्रोजेक्ट में निर्माण के साथ-साथ 15 वर्षों तक मेंटीनेंस का प्रावधान भी शामिल है। इसके तहत प्लांट के संचालन, रखरखाव और तकनीकी देखरेख की जिम्मेदारी तय की गई है, ताकि लंबे समय तक बिना बाधा के गंगा में स्वच्छ जल छोड़ा जा सके।
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