इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 05 दिसंबर को प्रस्तावित विशाल छात्र महापंचायत की तैयारियों को लेकर प्रगतिशील छात्र संगठन मंच ने बुधवार को रिपोर्टर्स क्लब में प्रेसवार्ता की। इसमें समाजवादी छात्रसभा, एनएसयूआई, दिशा, आइसा, एसएफआई सहित लगभग सभी प्रगतिशील छात्र संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। मंच ने बताया कि महापंचायत को प्रदेश भर के विश्वविद्यालय के ज्यादातर छात्र संगठनों और कई राजनीतिक दलों का समर्थन मिल चुका है, जिसमें यूपी कांग्रेस, समाजवादी लोहिया वाहिनी, जनसत्ता दल के साथ कई पार्टियों का समर्थन मिला है। इस दौरान छात्र नेताओं ने कहा कि 2021 में की गई 400 प्रतिशत फीस वृद्धि और उसके बाद हर वर्ष 10 प्रतिशत बढ़ोतरी ने छात्रों की आर्थिक स्थिति और कमजोर की है। विश्वविद्यालय के छात्रावासों की जर्जर हालत, सीमित आवास क्षमता और मूलभूत सुविधाओं के अभाव पर भी गहरी नाराजगी जताई गई। नेताओं ने पुराने छात्रावासों के पुनर्निर्माण और नए हॉस्टलों के निर्माण की मांग रखी। साथ ही महिला छात्रावासों में पाबंदियों को समाप्त कर स्वतंत्र वातावरण और नो फूड नो मनी व्यवस्था लागू करने की बात कही। छात्र नेताओं ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में लोकतांत्रिक माहौल बहाल होना चाहिए, जहाँ छात्र स्वतंत्र महसूस करें। केंद्रीय पुस्तकालय को 24×7 खोलने और नई उपयोगी किताबें उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। कुलपति की नियुक्ति को अवैध बताते हुए कहा गया कि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है, ऐसे में कार्यकाल विस्तार कानून के विपरीत है। साथ ही 2018 से बंद पड़े छात्रसंघ भवन को तुरंत खोलने की मांग रखी गई। छात्रनेता आदर्श सिंह भदौरिया ने कहा कि 5 दिसंबर की छात्र महापंचायत ऐतिहासिक होगी और इसके बाद पूरे प्रदेश में छात्रसंघ बहाली के लिए बड़ा आंदोलन खड़ा होगा। वहीं प्रियांशु विद्रोही ने आरोप लगाया कि “अवैध कुलपति विश्वविद्यालय में तानाशाही का माहौल बना रही हैं और छात्रसंघ पर लगाया गया ताला छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश है। एनएसयूआई के इकाई अध्यक्ष सौरभ सिंह गहरवार ने फीस वृद्धि को छात्रों पर असहनीय बोझ बताया। छात्रों ने कहा कि महापंचायत पूरी तरह शांतिपूर्ण और अहिंसक होगी तथा सभी छात्रों और युवाओं से इसमें शामिल होने की अपील की गई।
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