सिद्धार्थनगर। जिले में इलाज के नाम पर गर्भस्थ शिशु की मौत और उसके बाद भी जिम्मेदार तंत्र की चुप्पी ने स्वास्थ्य व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है। बर्डपुर स्थित श्री साईं फार्मा क्लीनिक में कथित गलत इलाज और अवैध ऑपरेशन से शिशु की मौत का आरोप लगाते हुए पीड़ित ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी सिद्धार्थनगर डॉ. रजत कुमार चौरसिया को लिखित शिकायत दी है। इसके बावजूद अब तक न तो कोई ठोस कार्रवाई सामने आई है और न ही जिम्मेदारी तय होती दिख रही है। पीड़ित आशीष पुत्र रामनैन, निवासी ग्राम पंचायत बजहाँ बाजार, टोला भरथापुर, थाना शोहरतगढ़, ने अपनी शिकायत में बताया है कि उनकी पत्नी गर्भवती थीं और डिलीवरी के लिए परिजन उन्हें पहले 30 नवंबर को बर्डपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए थे। वहां डॉक्टर ने यह कहकर लौटा दिया कि अभी डिलीवरी का समय नहीं हुआ है। इसके बाद पीड़ित परिवार के अनुसार सेमरा गांव की आशा शीला देवी उन्हें 30 नवंबर को ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बर्डपुर से हटाकर बर्डपुर स्थित श्री साईं फार्मा क्लीनिक ले गईं। क्लीनिक पहुंचने पर अमन जायसवाल नामक व्यक्ति मिला, जिसने खुद को संचालक बताया। वहां मौजूद महिला स्टाफ ने भरोसा दिलाया कि डिलीवरी यहीं हो जाएगी। जबरन डिलीवरी, कथित ऑपरेशन और शिशु की मौत पीड़िता की ननद अनिता ने बताया कि क्लीनिक के कहने पर पीड़िता को मुहाना चौराहा अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा गया, जहां रिपोर्ट में बच्चा पूरी तरह स्वस्थ बताया गया। इसके बाद पीड़िता को दोबारा श्री साईं फार्मा क्लीनिक लाया गया। अनिता के अनुसार,30 नवंबर को क्लीनिक में एक महिला द्वारा पीड़िता के पेट को जबरन दबाकर डिलीवरी कराई गई और वहीं कथित तौर पर “छोटा ऑपरेशन” भी किया गया। आरोप है कि इसी प्रक्रिया के दौरान पैदा हुए शिशु की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि गलत ऑपरेशन के कारण पीड़िता के पेशाब और लैट्रिन का रास्ता एक हो गया, इसके बावजूद क्लीनिक में ही टांके लगाकर महिला को घर भेज दिया गया। अगले दिन से पीड़िता की हालत बिगड़ने लगी। जब परिजन दोबारा क्लीनिक पहुंचे तो इलाज के बजाय उन्हें धमकाया गया। पीड़ित आशीष ने शिकायत में लिखा है कि उनकी पत्नी का गलत ऑपरेशन किया गया और उनके बच्चे की मौत लापरवाही से हुई। ओपीडी पंजीकरण, फिर भी ऑपरेशन का आरोप शिकायत में यह भी सवाल उठाया गया है कि श्री साईं फार्मा क्लीनिक का पंजीकरण केवल ओपीडी के लिए बताया जा रहा है, ऐसे में वहां डिलीवरी और ऑपरेशन जैसे कार्य किस नियम के तहत किए गए। पीड़ित का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया अवैध है और बिना विभागीय संरक्षण के संभव नहीं। सीएमओ का बयान: “मुझे जानकारी नहीं” जब इस गंभीर मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रजत कुमार चौरसिया से बात की गई, तो उन्होंने कहा—मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। यह बयान ऐसे समय आया है, जब पीड़ित द्वारा लिखित शिकायत सीएमओ कार्यालय में दी जा चुकी है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि शिकायत के बावजूद जानकारी सीएमओ तक क्यों नहीं पहुंची या फिर पहुंचने के बाद भी उस पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया। फर्जी डिग्री पर चल रहे अस्पतालों का आरोप श्री साईं फार्मा क्लीनिक का मामला जिले में चल रहे कथित अवैध अस्पतालों की बड़ी तस्वीर का हिस्सा बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सिद्धार्थनगर में कई अस्पताल डॉक्टरों की फर्जी या उधार की डिग्री पर संचालित हो रहे हैं। जिन डॉक्टरों के नाम और डिग्री लगी हैं, वे स्वयं लखनऊ, अयोध्या, कानपुर या दिल्ली में प्रैक्टिस कर रहे हैं, जबकि यहां उनके नाम पर अस्पताल चल रहे हैं। इटवा का लाइफ केयर हॉस्पिटल मामला ऐसा ही एक मामला पहले इटवा क्षेत्र के लाइफ केयर हॉस्पिटल में सामने आ चुका है। डॉ. मोहम्मद जावेद, जो लखनऊ में प्रैक्टिस करते हैं, ने स्वयं मुख्य चिकित्सा अधिकारी सिद्धार्थनगर के खिलाफ शिकायत दी थी। डॉ. जावेद ने बताया था कि वे कभी सिद्धार्थनगर गए ही नहीं, फिर भी उनकी डिग्री इटवा स्थित लाइफ केयर हॉस्पिटल में लगा दी गई। उन्होंने सत्यापन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की थी। उस मामले में भी सीएमओ कार्यालय की भूमिका पर सवाल उठे थे, लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया। अब बर्डपुर का ताजा मामला सामने आने के बाद एक बार फिर वही सवाल खड़े हो गए हैं। इन बिन्दुओं पर सवाल- शिशु की मौत के बाद भी क्लीनिक पर कार्रवाई क्यों नहीं?
ओपीडी पंजीकरण वाले क्लीनिक में ऑपरेशन कैसे हुआ?
शिकायत के बावजूद सीएमओ को जानकारी क्यों नहीं?
फर्जी डिग्री पर चल रहे अस्पतालों का सत्यापन कब होगा?
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