सम्राट हेवन्स में चल रहे तीन दिवसीय ड्रीम बुक फेयर के दूसरे दिन शनिवार को एक ऐसी किताब ने लोगों का ध्यान खींचा, जिसने साहित्य के साथ-साथ भावनाओं का ऐसा मेल दिखाया जिसे पढ़कर कई लोगों की आंखें नम हो गईं। यह किताब है – ‘आशिवी—शहीद से एक पत्नी की शिकायत’, जिसे खतौली ब्लॉक के गांव तलवाड़ा की लेखिका शिवी आशीष स्वामी ने अपने शहीद पति की याद में लिखा है। शिवी कहती हैं कि उन्होंने यह किताब इस सोच के साथ लिखी कि वह अपने शहीद पति के लिए कुछ कर सकें, ताकि उनका नाम और संघर्ष हमेशा याद रखे जाएं। लेखिका ने बताया कि यह उनकी पहली किताब है, और इसका शीर्षक उन्होंने अपने और अपने पति के नाम को जोड़कर रखा है। डेढ़ साल की इस दर्दभरे सफर में पति के शहीद हो जाने के बाद जो संघर्ष—समाज, प्रशासन और परंपराओं के साथ उन्हें झेलने पड़े, उन्हें 300 पन्नों में लिखा है।उन्होंने बताया कि उनके पति शादी के बाद पहली बार छुट्टी पर आए थे और उसी दौरान सड़क दुर्घटना में शहीद हो गए। इस अचानक हुए हादसे ने उनके जीवन का हर पूरी तरह बदल दिया। लेखिका कहती हैं— “जब कोई सैनिक ड्यूटी पर शहीद होता है, तो उसे सम्मान मिलता है, लेकिन अगर वही सैनिक अवकाश के दौरान या बीमारी में शहीद होता है तो समाज का नजरिया बदल जाता है। मैं चाहती हूं कि शहादत को शहादत की तरह देखा जाए… चाहे वो कहीं भी, किसी भी परिस्थिति में हुई हो।” लेखिका ने कहा की इस किताब के जरिए मिशन शक्ति के तहत वो समाज की रूढ़िवादी प्रथाओं—जैसे चूड़ी उतारना, सिंदूर मिटाना और विधवा जैसे शब्दों से महिलाओं को चोट पहुंचाने वाली परंपराओं को खत्म करने के लिए प्रेरित करना चाहती हैं। उनका कहना है— “एक ओर तो देश नारी को देवी कहता है और दूसरी ओर उसी नारी को प्रथाओं से चोट पहुंचाई जाती है। यह बंद होना चाहिए।एक आघात तो ईश्वर देता है, दूसरा समाज देता है। यह परंपराएं बदलनी चाहिए।” लेखिका ने कहा—
“मैं चाहती हूं कि मेरे पति का नाम शहीदों की तरह याद रखा जाए। यह किताब सिर्फ मेरी कहानी नहीं, हजारों सैनिक परिवारों की आवाज है।”
फेयर के दूसरे दिन साहित्य प्रेमियों, छात्रों और अधिकारियों तक ने इस किताब में रुचि दिखाई। कई लोगों ने इसे वहीं खरीदा भी। कई पाठकों ने इसे ‘गुनाहों के देवता’ की शैली से मिलती-जुलती बताया। वहीं कुछ ने इसे शहीद परिवारों की आवाज और संघर्ष की कहानी कहा। सम्राट हेवन्स में आयोजित इस बुक फेयर में ‘आशिवी’ न सिर्फ लोकप्रिय हुई, बल्कि पाठकों के दिल में जगह भी बना गई। यह किताब एक उम्मीद, एक सवाल और एक बदलाव की कोशिश है।
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