राज्यभर की आशा एवं आशा संगिनी ने लंबे समय से लंबित मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई है। कानपुर देहात में भी आशा एवं आशा संगिनी ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 से लगातार सेवाएं देने के बावजूद उन्हें पूरा मानदेय, प्रोत्साहन राशि और अन्य देय भुगतान नहीं मिला है। आशा संघ के अनुसार, उन्होंने कई बार ज्ञापन सौंपे और स्वास्थ्य मंत्री तथा मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं से अवगत कराया। संघ ने बताया कि 30 अक्टूबर 2025 तक समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया गया था। हालांकि, न तो बकाया भुगतान किया गया और न ही वार्ता के लिए कोई ठोस पहल हुई। आशा कार्यकर्ताओं की प्रमुख मांगों में वर्ष 2025 तक की बकाया प्रोत्साहन राशि का तत्काल भुगतान शामिल है। इसके अतिरिक्त, आशा एवं आशा संगिनी को मानदेय आधारित कर्मचारी का दर्जा देने और न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग की गई है। अन्य मांगों में स्वास्थ्य बीमा व जीवन बीमा की सुविधा, ड्यूटी के दौरान दुर्घटना में मृत्यु पर मुआवजा, तथा कार्यस्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित करना शामिल है। संघ ने यह भी मांग की है कि आशा एवं आशा संगिनी को मानदेय के बजाय सरकारी कर्मचारी के रूप में मान्यता दी जाए। उन्होंने 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग की है। साथ ही, मोबाइल, इंटरनेट सुविधा, यात्रा भत्ता और पहचान पत्र से जुड़े मुद्दों के समाधान की भी मांग की गई है।
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