उन्नाव में आशा कार्यकर्ताओं का अपनी लंबित मांगों को लेकर दूसरे दिन मंगलवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। वर्षों से मानदेय, प्रोत्साहन राशि और विभिन्न अभियानों के भुगतान में देरी से आक्रोशित कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर शासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का ध्यान अपनी समस्याओं की ओर आकर्षित किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) कार्यालय पर धरना देते हुए आशा कार्यकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद उनकी मांगों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उन्होंने एक ज्ञापन प्रस्तुत किया, जिसमें पूर्व में हुई सहमति के बिंदुओं पर अमल न होने का उल्लेख था। ज्ञापन के अनुसार, 6 अक्टूबर 2025 को मुख्यमंत्री स्तर से आशा कार्यकर्ताओं के लंबित भुगतान और अन्य मांगों के समाधान का आश्वासन दिया गया था। इसके बाद 13 अक्टूबर 2025 को स्वास्थ्य मंत्री स्तर पर भी बैठक हुई थी, जिसमें 1 नवंबर 2025 से समस्याओं के निस्तारण का भरोसा दिलाया गया था। हालांकि, निर्धारित समय बीत जाने के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। आशा कार्यकर्ताओं का कहना है कि वर्ष 2025 के कई महीनों का बकाया मानदेय, राज्य वित्त प्रतिपूर्ति राशि और विभिन्न स्वास्थ्य अभियानों के भुगतान अभी भी लंबित हैं। समय पर भुगतान न होने के कारण उन्हें गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिससे परिवार चलाने और बच्चों की पढ़ाई में दिक्कतें आ रही हैं। उनकी प्रमुख मांगों में आशा और आशा संगिनियों को ‘मानद स्वयंसेवक’ के बजाय सरकारी कर्मचारी का दर्जा देना शामिल है। इसके अतिरिक्त, 45 वर्ष से अधिक आयु की आशा कार्यकर्ताओं के लिए सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग की गई है। स्वास्थ्य बीमा, जीवन बीमा, कार्य के दौरान दुर्घटना बीमा, नियमित प्रशिक्षण और सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराने की मांग भी उठाई गई है। आशा कार्यकर्ताओं ने न्यूनतम मानदेय बढ़ाने की मांग दोहराई है, जिसमें आशाओं के लिए 21 हजार रुपये और आशा संगिनियों के लिए 28 हजार रुपये प्रतिमाह का प्रस्ताव है।
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