उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में बेसहारा गौवंशों की समस्या गंभीर बनी हुई है। सरकारी दावों के बावजूद, बड़ी संख्या में आवारा गौवंश सड़कों पर घूमते देखे जा सकते हैं, जो न केवल दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं, बल्कि कड़ाके की ठंड में लोगों के डंडों और कूड़े-कचरे का शिकार भी हो रहे हैं। जिले में गौवंशों के संरक्षण के लिए कुल 63 गौ-आश्रय स्थल स्थापित किए गए हैं, जहाँ वर्तमान में 12,621 गौवंशों को रखा गया है। इसके अतिरिक्त, सहभागिता योजना के तहत 2,005 गौवंशों को वितरित किया गया है। इन प्रयासों के बावजूद, सड़कों पर आवारा घूमते गौवंशों की मौजूदगी व्यवस्थाओं पर सवाल उठाती है। फतेहपुर और खागा नगर पालिका परिषदों सहित जिले के 13 विकास खंडों में कैटल कैचर वाहन उपलब्ध हैं, लेकिन उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, आवारा गौवंश सड़कों पर कूड़ा खाते और लोगों के डंडे खाते हुए पाए जाते हैं। झुंड में घूमने वाले ये गौवंश सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण भी बन रहे हैं। कई आवारा गौवंशों के कान में गौशालाओं की ईयर टैगिंग लगी हुई देखी गई है। यह स्थिति सवाल खड़ा करती है कि यदि इन गौवंशों को गौशालाओं में संरक्षित किया गया था, तो वे सड़कों पर कैसे घूम रहे हैं। इस समस्या के लिए सरकार और प्रशासन के साथ-साथ उन गौपालकों की भी जिम्मेदारी है जो गौवंशों का उपयोग करने के बाद उन्हें खुला छोड़ देते हैं। खुले में घूमने वाले इन गौवंशों पर पशु तस्करों की भी नजर रहती है, जिसके कारण जिले से गौवंशों के काटे जाने की खबरें भी आती रहती हैं।
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