अयोध्या में बदलते मौसम के कारण आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा बढ़ गया है। तापमान में उतार-चढ़ाव, सुबह-शाम की ठंड और बढ़ती नमी से यह रोग फैल रहा है। इसे देखते हुए आलू उत्पादक किसानों ने अपनी फसल बचाने के लिए दवा का छिड़काव शुरू कर दिया है। जिले में लगभग 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती होती है। किसानों के अनुसार, झुलसा रोग आलू की पत्तियों को झुलसा देता है और पौधों की वृद्धि रोक देता है। यदि समय पर इसका नियंत्रण न किया जाए, तो उपज में भारी कमी आ सकती है। इसके अलावा, रात में पड़ने वाला पाला भी फसल को नुकसान पहुंचा रहा है, जिससे पत्तियां काली पड़ जाती हैं और आलू के कंदों का विकास प्रभावित होता है। सब्जी वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उनका कहना है कि मौजूदा मौसम झुलसा रोग के लिए अनुकूल है, इसलिए किसानों को नियमित रूप से खेतों का निरीक्षण करना चाहिए। रोग के शुरुआती लक्षण दिखते ही अनुशंसित फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव आवश्यक है। पाले से बचाव के लिए हल्की सिंचाई और खेतों में धुआं करने जैसी पारंपरिक विधियों को भी अपनाने की सलाह दी गई है। वैज्ञानिकों की सलाह पर अमल करते हुए किसान आलू के खेतों में दवाओं का छिड़काव कर रहे हैं। आलू को पाले और झुलसा रोग से बचाने के लिए इंडोफिल M-45 जैसे फफूंदनाशकों का छिड़काव करना चाहिए, खासकर जब मौसम ठंडा और नम हो। कृषि विभाग ने 7-10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार स्प्रे करने की सलाह दी है, जिसमें कॉपर ऑक्सीक्लोराइड भी मिलाया जा सकता है। छिड़काव के समय खेत में नमी और धूप का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। किसानों का मानना है कि समय पर दवा के प्रयोग से फसल को काफी हद तक बचाया जा सकता है और उत्पादन के नुकसान को कम किया जा सकता है। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे दवाओं का प्रयोग संतुलित मात्रा में करें और मौसम की जानकारी पर लगातार नजर रखें।
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