अमेठी के रहने वाले आरिफ के पास अब उनका दोस्त सारस वापस नहीं जाएगा। क्योंकि अब इस मादा सारस को कानपुर जू में अपना नया नर जीवन साथी मिल गया है। अब दोनों सारस बाड़े में एक साथ रहते हैं।साथ में डांस भी करते हैं। साथ ही उसकी डाइट भी बदली है। पहले ये सारस उबले अंडे, पके हुए चावल, खीर खाता था। डॉक्टर नासिर के मुताबिक धीरे-धीरे हम लोगों ने उसको बर्ड नेचर में परिवर्तित किया। अब ये मक्का, दाल, मूंगफली, पत्ता गोभी, पालक और छोटी मछलियां खाने लगा है। ये सारस 25 मार्च 2023 को जब कानपुर प्राणि उद्यान (जू) में आया था। यहीं पर सबसे पहले सारस का डीएनए टेस्ट करवाया गया था। जिसमें इस सारस के मादा होने की पुष्टि हुई थी। उदासी छोड़ अब डांस कर रही मादा सारस
रेंजर मोहम्मद फिरोज खान ने बताया कि जब मादा सारस आरिफ से दूर हुई थी तो वह मायूस रहती थी। हम लोगों ने उसे ऐसे बाड़े में डाला, जिसमें पहले से एक सारस (मर्द) रहता था। अब करीब 2 साल बाद मादा सारस की न सिर्फ एक्टिविटी बदली, बल्कि उसका रहन-सहन और खानपान भी बदल गया। मादा सारस की नर सारस की दोस्ती हो गई। तब से मादा सारस अब डांस करने लगी है। बाड़े में इधर-उधर दौड़ भी लगाती है। बताया कि हंस और सारस अपने पूरे जीवन काल में एक ही साथी का चयन करते हैं। उन्होंने बताया कि जब ये मादा सारस आरिफ के पास घर पर रहता थी। तब ये उबले अंडे, पके हुए चावल और खीर खाती थी। मगर अब ये मक्का, दाल, मुंगफली, पत्ता गोभी, पालक और छोटी मछलियां खाने लगी है। पहले जू प्रशासन ने सारस के मिलने पर लगाए थे प्रतिबंध
26 मार्च 2023 को वन विभाग ने पक्षी की सुरक्षा के लिए अहम कदम उठाया था। इसके बाद आरिफ के सारस को अधिकारियों ने घर से ले जाकर कानपुर चिड़ियाघर में रखा था। जू में पहुंचने के बाद एक अलग बाड़े में क्वॉरेंटाइन किया गया। बीते कुछ दिनों तक प्रशासन ने उसकी सीसीटीवी कैमरे के जरिए निगरानी की। आरिफ से बिछड़ने के बाद सारस मायूस रहने लगी थी। कुछ दिनों तक जू प्रशासन ने आरिफ को सारस से मिलने की अनुमति नहीं दी थी। जब आरिफ कुछ दिनों बाद सारस से मिलने के लिए पहुंचा तो सारस उसे देखते ही झूम- झूम कर नाचने लगी। मादा सारस की लगातार हो रही मॉनिटरिंग
आरिफ से बिछड़ने के बाद उसने खाना-पीना कम कर दिया था। लेकिन कुछ समय बाद उसने अब अपनी रूटीन डाइट लेनी शुरू कर दी है। अब उसने अपना एक जीवनसाथी (नर) बना लिया है। जिसके साथ वह काफी ज्यादा खुश है। यूं कहे अब वह आरिफ को भी पूरी तरह से भूल चुकी है। उसने नॉर्मल डायट को छोड़कर जो सारस की रियल डाइट है- जैसे कि गोभी के पत्ते के कीड़ों के अलावा कई अन्य चीजों को भी खाना शुरू कर दिया है। वह अब पूरी तरीके से स्वस्थ है। डॉक्टरों की टीम के द्वारा उसकी लगातार मॉनिटरिंग की जाती है। चलिए अब आपको 7 महीने पहले हुई आरिफ से सारस की दोस्ती और फिर बिछड़ने की कहानी बताते हैं… आरिफ और सारस की दोस्ती अगस्त 2022 में हुई थी। आरिफ बताते हैं, “रोज की तरह मैं अपने खेत पर काम करने जा रहा था। तभी मुझे रास्ते में एक बड़ा सा पंख दिखाई दिया। मैं थोड़ा आगे बढ़ा तो बड़ा सा सारस जमीन पर पड़ा हुआ था। पहले मैं उसको देखकर डर गया। पहली बार सारस को सामने से देखा था। इसकी चोंच बहुत बड़ी थी। मुझे डर लग रहा था कि कहीं ये मुझे मार न दे। मैं कुछ देर वहीं पर खड़ा रहा। उसको लगातार देख रहा था। वो हिल भी नहीं पा रहा था। उसके पैर पर चोट थी। खून निकल रहा था। किसी तरह हिम्मत करके मैं उसके पास गया। उसके ऊपर हाथ फेरा तो वो थोड़ा सा मेरी तरफ घूम गया। इसके बाद मैंने सारस को पानी पिलाया। फिर उसको अपने खेत पर ले गया। उसके पैर पर दवा लगाकर पट्टी बांध दी। उसके बाद सारस को खेत पर किनारे लेटा दिया।” आरिफ आगे कहते हैं, “कुछ देर बाद मैं खाना खाने जा रहा था। तभी मैंने सारस की ओर देखा। मैंने सोचा उसको भी कुछ खिला दूं लेकिन डर था कहीं वो चोंच मार न दे। तभी मैंने उसको दूर से रोटी फेंक कर दे दी। जो उसने खा ली। उसके बाद एक रोटी और दे दी। जब मैं घर जाने लगा तो छोटे भाई को बुला लिया। उसके साथ मिलकर सारस को घर ले गया। वहां उसको घर के अंदर बिस्तर पर रखा। रात में फिर से खाना खिलाया। ऐसा लगभग डेढ़ महीने तक मैं करता रहा। घर की देसी दवाई से उसका पैर धीरे-धीरे ठीक हो गया। वो अब अपने पैरों पर चलने लगा था। मेरा डर भी अब खत्म हो चुका था। घर के दूसरे लोग भी उससे डरा नहीं करते थे। सारस के ठीक होने पर मैंने सोचा अब वो उड़ जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मैंने कभी देखा नहीं था कि किसी ने घर पर सारस को पाल रखा हो। फिल्मों में भी ऐसा नहीं देखा है। सब लोग घर पर कुत्ता, बिल्ली, बंदर, तोता यही सब पालते हैं। इसलिए मैंने भी इसको पालने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन मेरा दोस्त सारस खुद ही मेरे पास रहने लगा। मुझे भी उससे इतना ज्यादा लगाव हो गया कि उसको घर पर रख लिया। 7 महीने से हम लोग साथ थे, पता नहीं था इस तरह से अलग होंगे।” ठीक होने के बाद सारस ने आरिफ का नहीं छोड़ा साथ आरिफ और उनके परिजनों को उम्मीद थी कि सारस ठीक होने के बाद उड़ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आरिफ की सेवा ने सारस पक्षी का ऐसा दिल मोहा कि वह उनके घर के पास ही रहने लगा। तब से लेकर अब तक आरिफ का परिवार ही सारस का परिवार बन गया है। जहां-जहां आरिफ जाते, सारस उनके साथ जाता था। वह उनके साथ ही भोजन करता, साथ ही रहता। इतना ही नहीं जब वह बाइक से बाजार जाते, तो सारस उड़ते हुए उनके साथ चलता। अखिलेश यादव हो गए थे दोस्ती के मुरीद पक्षी और इंसान की दोस्ती को देखकर सपा मुखिया अखिलेश यादव भी मुरीद हो गए। अखिलेश यादव अमेठी दौरे के दौरान मंडका गांव पहुंचे। जहां आरिफ और सारस की दोस्ती को उन्होंने महसूस किया और जमकर तारीफ की थी। इससे आरिफ भी बेहद खुश थे। अखिलेश के पहुंचते ही सरकार ने लिया एक्शन 19 मार्च को अमेठी दौरे पर अखिलेश यादव ने आरिफ से मुलाकात की थी। आरिफ और सारस की दोस्ती के चर्चे प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हुए। लेकिन इसी बीच यूपी सरकार ने आरिफ को नोटिस जारी कर दिया। लखनऊ से वन विभाग ने नोटिस दिया कि सारस को सही वातावरण में नहीं रखा जा रहा है। अब बात उस दिन कि जब वन विभाग की टीम सारस को लेने पहुंची… आरिफ को नोटिस देने के बाद बीते 21 मार्च को वन विभाग की टीम सारस को लेने के लिए मुंडका गांव पहुंच गई। उस दौरान आरिफ बार-बार टीम से गुहार लगाता रहा कि आप लोग सारस को चेक कर लो। मैं इसका पूरा ध्यान रखता हूं। हमेशा साथ में रखता हूं। खाने-पीने से लेकर, सोने-बैठने सब का इंतजाम घर पर इसके लिए कर रखा है। ये भी मेरे साथ बहुत खुश रहता है। आपको यकीन न हो तो गांव वालों से पूछ लो। आरिफ के इतना कहने के बाद भी वन विभाग की टीम सारस को आरिफ से छीन कर ले गई। आरिफ बुरी तरह टूटकर रोने लगा। लेकिन टीम के सदस्य नहीं माने। अखिलेश यादव ने लगातार सरकार को घेरा वन विभाग द्वारा सारस को ले जाने के बाद अखिलेश यादव ने ट्विट कर इसका विरोध किया। इसके बाद वन विभाग ने तर्क दिया कि सारस के अनुसार, आरिफ के घर का वातावरण ठीक नहीं है। यही वजह रही कि मंगलवार को पक्षी को आरिफ के घर से लाकर रायबरेली के पक्षी विहार में छोड़ दिया गया। फिलहाल, इन सबके बीच एक खूबसूरत दोस्ती का सफर खत्म हो गया है। अब आरिफ-सारस न साथ में खाएंगे, न साथ में घूमेंगे और न ही साथ में खेलेंगे। कुछ दिन पहले आरिफ जिन चीजों को जी रहा था, अब वो सब याद बनकर रह गया है।
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