ट्रांसपोर्टनगर स्थित आरटीओ कार्यालय में कार्यरत प्राइवेट कर्मचारियों की मोबाइल जांच को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। दलालों से कथित मिलीभगत की जांच के नाम पर अफसरों ने कर्मचारियों के मोबाइल जब्त कर चैटिंग, कॉल डिटेल, ईमेल और तस्वीरें खंगालीं। इस दौरान एक महिला कर्मी की व्यक्तिगत तस्वीरें देखे जाने का आरोप है, जिससे वह रोने लगी। बावजूद इसके जांच नहीं रोकी गई। मामला उजागर होने के बाद इसकी शिकायत परिवहन विभाग के मुख्यालय तक पहुंच गई है। दरअसल, वर्तमान में ट्रांसपोर्टनगर आरटीओ में ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ा काम नई एजेंसी के कर्मचारियों के जिम्मे है। इससे पहले आरटीओ प्रशासन संजय तिवारी ने पूर्व में तैनात प्राइवेट कर्मचारियों पर भ्रष्टाचार और दलालों से सांठगांठ के आरोप लगाते हुए पत्र लिखा था। इसके बाद पुरानी एजेंसी को हटाकर सिल्वर टच नामक नई संस्था के कर्मचारियों को तैनात किया गया। आरोप है कि नई एजेंसी के कर्मचारी भी लगातार अफसरों के दबाव और प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं। जबरन मोबाइल जांच का आरोप प्राइवेट कर्मचारियों का कहना है कि बीते शनिवार डीएल सेक्शन में काम कर रहे कर्मचारियों के मोबाइल जबरन ले लिए गए। बिना किसी लिखित आदेश के उनका डाटा खंगाला गया, कॉल रिकॉर्ड और निजी बातचीत देखी गई। आरोप है कि एक महिला कर्मचारी की निजी तस्वीरें भी जांच के नाम पर देखी गईं, जबकि वह बार-बार आपत्ति जताती रही। महिला अफसरों के होते हुए भी सवाल परिवहन विभाग में परिवहन आयुक्त का पद महिला आईएएस किंजल सिंह के पास है, वहीं आईटी विंग की जिम्मेदारी भी महिला अधिकारी सुनीता वर्मा संभाल रही हैं। इसके बावजूद महिला कर्मी की निजता से जुड़े इस मामले ने विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि परिवहन आयुक्त स्तर से मामले में कोई हस्तक्षेप और कार्रवाई होती है या नहीं। पहले भी लगे थे आरोप, जांच नहीं हुई सूत्रों के मुताबिक इससे पहले जब डीएल का काम स्मार्ट चिप कंपनी के कर्मचारी देख रहे थे, तब भी उन पर दलालों से मिलीभगत के आरोप लगाए गए थे। हालांकि न तो किसी तरह की एफआईआर दर्ज हुई और न ही विभागीय स्तर पर ठोस जांच कराई गई। एकतरफा कार्रवाई करते हुए कर्मचारियों को हटा दिया गया था। आरटीओ प्रशासन ने आरोपों को नकारा आरटीओ (प्रशासन) संजय तिवारी का कहना है कि ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़े काम में बाहरी दलालों की भूमिका की शिकायतें थीं। इसी कारण कर्मचारियों के मोबाइल जांचे गए। महिला कर्मी की निजी तस्वीरें देखे जाने का आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है।
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