आजमगढ़ में हत्या के एक पांच साल पुराने मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद आजमगढ़ की अदालत ने शनिवार को फैसला सुनाते हुए एक आरोपी को आजीवन कारावास तथा 65 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा दी है। जबकि पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में छह आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया। अदालत ने आदेश दिया कि लगाए गए जुर्माने की आधी धनराशि मृतक के परिजनों को प्रदान की जाए। यह फैसला विशेष सत्र न्यायाधीश विजय कुमार वर्मा ने सुनाया। अभियोजन के अनुसार, वादी जय प्रकाश सिंह निवासी मसीरपुर, थाना देवगांव के घर पर 7 अप्रैल 2019 को सुबह करीब 10 बजे बारजे का निर्माण कार्य चल रहा था। उसी दौरान पड़ोस में रहने वाले राणा प्रताप सिंह ने निर्माण कार्य रुकवाया। विरोध करने पर जय प्रकाश सिंह और उनके छोटे भाई अनिल सिंह के साथ विवाद बढ़ गया। अभियोजन के मुताबिक, राणा प्रताप, उसके भाई विजय प्रताप, बेटे नितेश, चचेरे भाई योगेश, ज्ञानेश, ओम प्रकाश और एक साथी अखिलेश सिंह उर्फ पप्पू ने मिलकर ईंट-पत्थर चलाए और असलहों से फायरिंग की। इसी दौरान राणा प्रताप ने निशाना साधकर अनिल सिंह को गोली मारी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। हमले में वादी पक्ष के कई अन्य लोग भी गंभीर रूप से घायल हुए थे। पुलिस ने जांच पूरी कर मामले में आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। सहायक शासकीय अधिवक्ता निर्मल कुमार शर्मा और ओमप्रकाश सिंह ने अभियोजन की ओर से कुल आठ गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपी राणा प्रताप सिंह को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास और 65 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। जबकि अन्य छह आरोपियों विजय प्रताप, ज्ञानेश, योगेश, नितेश, ओमप्रकाश और अखिलेश सिंह उर्फ पप्पू को पर्याप्त सबूत न मिलने पर बरी कर दिया गया।
https://ift.tt/LmvpMlz
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply