पुलिस दल पर जानलेवा हमले के मामले में आरोपी दो भाईयों को अदालत ने साक्ष्य की कमी के कारण बरी कर दिया। यह मामला 2014 में हुआ था और जांच लंबे समय तक चली। आगरा पुलिस दल पर जानलेवा हमले के मामले में आरोपी दो सगे भाई कल्ला और रामसेवक को अदालत ने बरी कर दिया। एडीजे 21 विराट कुमार श्रीवास्तव ने साक्ष्य की कमी और गवाहों के बयानों में विरोधाभास को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया। मामले के अनुसार 17 दिसंबर 2014 को पुलिस दल अपहरत रवी मिश्रा की सुरक्षित रिहाई के लिए जांच कर रही थी। उसी दौरान बदमाशों ने अचानक पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, लेकिन आरोपी ताबड़तोड़ फायरिंग करके फरार हो गए। इस हमले में पुलिस दल बाल-बाल बचा। अपहरत रवी मिश्रा ने अदालत में बयान दिया कि 29 नवंबर 2014 की रात उसे बोलेरो में बैठाकर अपहरण किया गया और उसके पिता से करोड़ों की फिरौती मांगी गई। पुलिस ने 17 दिसंबर को रवी मिश्रा को सकुशल मुक्त कराया। अदालत में पेश किए गए गवाहों में गंभीर विरोधाभास पाए गए। वरिष्ठ अधिवक्ताओं निर्भय सिंह गुप्ता और विक्रांत गुप्ता के तर्कों के आधार पर आरोपी भाईयों को साक्ष्य की कमी के कारण बरी कर दिया गया। इस मामले में पुलिस ने जवाबी कार्रवाई कर अपहरत को सुरक्षित बचाने में सफलता पाई थी, लेकिन हमले के आरोपी अब तक कानून के शिकंजे में नहीं आ सके। घटना ने पुलिस सुरक्षा और अपहरण रोधी कार्रवाई की चुनौतियों को फिर से उजागर किया।
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