महराजगंज के निचलौल ब्लॉक की भेड़िया ग्राम पंचायत में अवैध भुगतान का मामला नया मोड़ ले रहा है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, संबंधित अधिकारी पूर्व सचिव को बचाने के लिए बैक डेट में फाइलें तैयार कराने की कोशिश कर रहे हैं। यह प्रयास जनवरी में हुए 3.79 लाख रुपये के भुगतान से संबंधित है, जो स्वीकृति से 10 महीने पहले किया गया था। अधिकारियों का उद्देश्य यह दिखाना है कि कार्य और उसकी स्वीकृति पूर्व तिथियों में ही पूरी हो चुकी थी। सूत्रों का कहना है कि ऐसी कागजी औपचारिकताएं जुटाई जा रही हैं, जिनसे यह साबित हो सके कि कार्य समय पर संपन्न हुआ और भुगतान प्रक्रिया उसी आधार पर की गई। हालांकि, इस प्रयास की सफलता पर सवाल उठ रहे हैं। किसी भी विकास कार्य में सामग्री के भुगतान के साथ-साथ मजदूरी का भुगतान भी समान अवधि में किया जाना अनिवार्य होता है। मजदूरी भुगतान को कार्य की वास्तविक प्रगति का महत्वपूर्ण प्रमाण माना जाता है। भेड़िया ग्राम पंचायत के इस मामले में, जहां 3.79 लाख रुपये का सामग्री भुगतान जनवरी में कर दिया गया था, वहीं मजदूरों का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। यह विसंगति पूरे मामले को संदेह के घेरे में लाती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, यदि बैक डेट में तैयार की गई फाइलें सामने भी आती हैं, तो मजदूरी भुगतान की तारीखें विभाग को कठघरे में खड़ा कर देंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि उस अवधि का कोई मजदूरी भुगतान रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, जिसमें कथित तौर पर काम पूरा हुआ बताया जा रहा है। नियमों के अनुसार, मजदूरी भुगतान कार्य संपन्न होते ही किया जाता है, न कि महीनों बाद। मामले से जुड़े कर्मचारी भी दबाव में बताए जा रहे हैं। यदि बैक डेट की फाइल तैयार कर प्रस्तुत की जाती है, तो यह सीधे तौर पर वित्तीय अनियमितता और दस्तावेजों में हेरफेर का संकेत होगा। सूत्रों के मुताबिक, विभाग के कुछ जिम्मेदार अधिकारी इस जोखिम को जानते हुए भी पूर्व सचिव को बचाने के प्रयास में लगे हैं। मजदूरी भुगतान की विसंगति उनके लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अब देखना यह है कि विभाग वास्तविक तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करेगा या बैक डेट फाइलों पर भरोसा कर किसी को बचाने का प्रयास करेगा। यह मामला जिलेभर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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