मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र में अवध चिकित्सा केंद्र को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सील कर दिया है। यह कार्रवाई अवैध गर्भपात की लिखित शिकायत और निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितताओं के बाद की गई। पहले निरीक्षण के दौरान, राम प्रसाद नामक व्यक्ति चिकित्सक की कुर्सी पर बैठकर ओपीडी करते हुए पाए गए। उन्होंने खुद को अवध चिकित्सा केंद्र का संचालक बताया। केंद्र की दीवार पर टंगे पंजीकरण प्रमाण पत्र में डॉ. अरविंद खरे का नाम चिकित्सक के रूप में अंकित था, जिसकी वैधता 4 नवंबर 2024 से 31 मार्च 2025 तक थी। डॉ. खरे से दूरभाष पर संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि वे अयोध्या स्थित अपने अस्पताल में कार्यरत हैं और केंद्र पर कोई अधिकृत चिकित्सक मौजूद नहीं था। निरीक्षण टीम को चिकित्सा केंद्र में भारी मात्रा में एलोपैथिक दवाएं और आईवी फ्लुइड मिले। मरीजों को लगाई गई डिस्पोजेबल सिरिंजें खुली हुई थीं और बायोमेडिकल कचरा बिना किसी मानक के इधर-उधर पड़ा था। एक कमरे में भर्ती मरीजों की चादरों पर खून के धब्बे पाए गए। केंद्र के साइन बोर्ड पर आयुर्वेदिक या यूनानी चिकित्सा पद्धति का कोई उल्लेख नहीं था, जबकि शिकायत में अवैध एलोपैथिक दावों की बात कही गई थी। शिकायतकर्ता द्वारा यह सूचना मिलने के बाद कि सील होने के बावजूद केंद्र को लकड़ी का दरवाजा खोलकर अवैध रूप से चलाया जा रहा है, सीएचसी मिल्कीपुर के अधीक्षक को पुनः निरीक्षण के लिए निर्देशित किया गया।इस दोबारा निरीक्षण में एक संदिग्ध व्यक्ति एक बुजुर्ग का इलाज करते और एलोपैथिक दवा लिखते हुए पाया गया। अधीक्षक द्वारा पूछे जाने पर वह निरीक्षण दल को धक्का देकर भाग गया। इस निरीक्षण में, पहले पाए गए सभी अभिलेख, दवाएं, बेड की चादरें और एक बेड वार्ड से हटा दिए गए थे। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, अयोध्या द्वारा पूर्व में प्राप्त प्रमाण-पत्र को बदलकर एक नया प्रमाण-पत्र दीवार पर टंगा मिला। बायोमेडिकल वेस्ट को चिकित्सालय के अंदर से हटाकर छत पर खुला फेंक दिया गया था। दोबारा निरीक्षण में भी केंद्र खुला पाया गया और मरीजों की भीड़ लगी हुई थी। इसके बाद, स्वास्थ्य टीम ने अवैध रूप से संचालित इस चिकित्सा केंद्र को अंततः सील कर दिया।
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