जुए के रुपयों के तकादे से बचने के लिए दोस्त ने ही होटल संचालक और उसके साथी की बेरहमी से हत्या कर दी। जुए में हारे रुपए लौटाने से बचने के लिए आरोपी दोस्त ने थार गाड़ी खरीदने के बहाने बुलाकर तीन गोली मारकर हत्या कर दी। राज खुलने के डर से साथ आए दोस्त को भी नहीं बख्शा। इस सनसनीखेज दोहरे हत्याकांड का खुलासा शनिवार को एसएसपी नीरज कुमार जादौन ने पुलिस लाइन में किया। जुआ बना कत्ल की जड़ थाना बन्नादेवी क्षेत्र के गांव ताजपुर रसूलपुर निवासी होटल संचालक बॉबी जुए का आदी था। जुए के इसी शौक ने उसे ऐसे लोगों के संपर्क में ला दिया, जो आगे चलकर उसके कातिल बने। थाना लोधा क्षेत्र के गांव जिरौली डोर निवासी धर्मेंद्र उर्फ धलुआ पुत्र ओमप्रकाश भी जुआ खेलता था। जुए में धर्मेंद्र बॉबी से करीब ढाई लाख रुपए हार गया था। इसके बाद बॉबी लगातार रकम लौटाने का दबाव बना रहा था। कार बिकवाई, रुपए खुद रख लिए धर्मेंद्र के पास एक कार थी। उसने बॉबी से वह कार बिकवाने को कहा। बॉबी ने कार डेढ़ लाख रुपए में बिकवा दी, लेकिन रुपए धर्मेंद्र को देने के बजाय खुद रख लिए। इसके बाद वह बचे हुए एक लाख रुपए के लिए भी तकादा करने लगा। लगातार दबाव से परेशान होकर धर्मेंद्र ने बॉबी की हत्या की साजिश रच डाली। थार खरीद का झांसा, मौत की सवारी योजना के तहत धर्मेंद्र ने बॉबी से कहा कि वह उसे थार गाड़ी दिलवा दे, गाड़ी मिलते ही सारे पैसे चुका देगा। बॉबी ने गाजियाबाद से सेकेंड हैंड थार दिलवाने की बात कही। इसी सिलसिले में 24 दिसंबर को सारसौल निवासी जमील से एक कार भाड़े पर ली गई। इसी कार से बॉबी, धर्मेंद्र को थार खरीदवाने जाने वाला था। होटल में पार्टी, फिर बार-बार फोन 25 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे बॉबी अपने गांव के दोस्त मोहित के साथ लोधा थाना क्षेत्र स्थित अपने होटल पहुंचा। दोनों ने वहां पार्टी की। इसी दौरान धर्मेंद्र ने गाजियाबाद चलने के लिए बॉबी को बार-बार फोन करना शुरू किया। कई कॉल के बाद बॉबी तैयार हुआ और मोहित को भी साथ ले लिया। महरावल पुल पर बुलाया, यहीं हुआ कत्ल धर्मेंद्र ने यह साजिश अपने गांव जिरौली डोर निवासी बौस प्रताप सिंह उर्फ देव के साथ मिलकर रची। इसमें हरीश और उसके दो अन्य साथियों को भी शामिल किया गया। योजना के अनुसार बॉबी को महरावल पुल पर बुलाया गया। तय था कि बॉबी अकेला आएगा, लेकिन वह मोहित को भी साथ ले आया। तीन गोलियां बॉबी को, एक मोहित को महरावल पुल पर पहुंचते ही धर्मेंद्र और बौस कार में सवार हो गए। बॉबी कार चला रहा था और मोहित आगे कंडक्टर सीट पर बैठा था। कुछ आगे बढ़ते ही धर्मेंद्र ने कार रुकवाई। इसके बाद पहले बॉबी को तीन गोलियां मारी गईं। राज खुलने के डर से मोहित की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या के बाद दोनों शवों को पीछे की सीट पर डाल दिया गया। कार को थाना गभाना के सोमना मोड़ से होते हुए खैर थाना क्षेत्र के गांव उदयपुर ले जाया गया और दोपहर करीब दो बजे सड़क किनारे खड़ा कर दिया गया। बाइक से पीछे-पीछे आए थे आरोपी कार के पीछे हरीश अपने साथियों के साथ हीरो HF डीलक्स बाइक से चल रहा था। कार खड़ी करने के बाद सभी आरोपी बाइक से फरार हो गए। शाम करीब चार बजे ग्रामीणों को कार में कोई हलचल नहीं दिखी तो उन्होंने 112 पर सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने कार से दोनों शव बरामद किए। 150 CCTV खंगाले, GPS से खुला राज घटना के बाद एसएसपी के निर्देश पर थाना खैर पुलिस और क्रिमिनल इंटेलिजेंस विंग देहात की संयुक्त टीमें बनाई गईं। पहले जंगलों में तलाश हुई, लेकिन सुराग सड़क से मिले। पुलिस ने घटनास्थल तक आने-जाने वाले रास्तों पर लगे करीब 150 CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली। कार में लगे जीपीएस से भी रूट ट्रेस किया गया। फुटेज में एक हीरो HF डीलक्स बाइक बार-बार संदिग्ध हालात में दिखी। सर्विलांस और मोबाइल लोकेशन से कड़ियां जुड़ती गईं और पुलिस गोंडा रोड नहर पुल तक पहुंच गई। डैशबोर्ड से 50 हजार निकाले एसएसपी ने बताया कि कार के डैशबोर्ड में 50 हजार रुपए रखे थे। इनमें से 25 हजार रुपए हरीश और उसके दो साथी ले गए, जबकि 25 हजार रुपए धर्मेंद्र और बौस ने रख लिए। शुक्रवार देर रात पुलिस ने धर्मेंद्र और बौस को हत्या में प्रयुक्त बाइक के साथ गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की निशानदेही पर खून से सने कपड़े, जूते और 24 हजार रुपए बरामद किए गए हैं। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। होटल से मिले आपत्तिजनक साक्ष्य एसएसपी नीरज कुमार जादौन ने बताया कि बॉबी के होटल से आपत्तिजनक साक्ष्य भी मिले हैं। इनकी जांच की जा रही है। यदि होटल या किसी अन्य व्यक्ति की संलिप्तता सामने आती है तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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