अयोध्या-रायबरेली हाईवे पर आवारा पशुओं के कारण सड़क हादसों में वृद्धि हुई है।पिछले 20दिनों के भीतर इन दुर्घटनाओं में चार लोगों की मौत हो चुकी है,जबकि एक दर्जन से अधिक लोग घायल हुए हैं।इन हादसों का मुख्य कारण हाईवे पर घूमते आवारा मवेशी बताए जा रहे हैं। (NHAI)ने दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में सुरक्षा उपाय किए हैं, लेकिन इसके बावजूद हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिले की सीमा में पिठला बॉर्डर से लेकर अयोध्या-रायबरेली बाईपास तक आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। पिठला और बरईपारा के पास आवारा पशुओं के कारण सबसे अधिक हादसे दर्ज किए गए हैं। हाल ही में बरईपारा के पास एक ट्रैक्टर चालक मवेशी को बचाने के प्रयास में डिवाइडर से टकरा गया था, जिससे उसकी मौत हो गई। रामगंज के पास भी गाय को बचाने के चक्कर में कार और बाइक सवार 6 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।पिठला के पास4 युवक गाय से टकराकर घायल हुए थे,जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया था। शनिवार को कृषि विश्वविद्यालय के दो छात्र अयोध्या से विश्वविद्यालय लौट रहे थे।बरईपारा के पास हाईवे पर अचानक उनकी बाइक एक सांड से टकरा गई। इस दुर्घटना में एक छात्र की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरे गंभीर रूप से घायल छात्र को मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। एनएचएआई और स्थानीय प्रशासन लगातार दावा करते रहे हैं कि आवारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में भेजा गया है। हालांकि, यदि यह दावा सही है, तो हाईवे पर हादसों की संख्या में कमी क्यों नहीं हो रही है? 25दिसंबर को मिल्कीपुर के पास जगदीशपुर के दो युवक आवारा मवेशियों से टकरा गए थे,जिसमें एक की हालत गंभीर बनी हुई थी और बाद में मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। सुरक्षा की दृष्टि से हाईवे पर दुर्घटना बहुल क्षेत्र के बोर्ड लगाए गए हैं और मवेशियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग भी की गई है,लेकिन इसके बावजूद मवेशी हाईवे पर आ रहे हैं। इसी क्रम में कुचेरा में एक अज्ञात वाहन ने एक बुजुर्ग को टक्कर मार दी थी। गंभीर रूप से घायल बुजुर्ग को अस्पताल भेजा गया था,जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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