जिले में ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री को बढ़ावा दिया जाएगा। जिला प्रशासन ने स्वयं सहायता समूहों (SHG) के माध्यम से गांवों में स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की योजना बनाई है। इस पहल में प्रशिक्षण के साथ-साथ उत्पादों की मार्केटिंग में भी सहायता प्रदान की जाएगी। यह योजना जिले के सभी ब्लॉकों के गांवों में लागू की जाएगी। इसमें महिलाओं के साथ-साथ युवाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी, जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना है। बैकयार्ड पोल्ट्री का तात्पर्य घर के पिछवाड़े या आंगन में छोटे पैमाने पर मुर्गी पालन से है। इसमें मुख्य रूप से देसी नस्लों का उपयोग किया जाता है, जो कम खर्च में घर के कचरे, अनाज और कीड़े-मकोड़े खाकर जीवित रहती हैं। यह ग्रामीण परिवारों को अंडे और मांस दोनों के माध्यम से अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करता है। इस व्यावसायिक योजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन ने संबंधित क्षेत्र की कंपनियों से संपर्क किया है। ये कंपनियां स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं और ग्रामीण युवाओं को चूजे और दाना उपलब्ध कराएंगी। इसके अतिरिक्त, उन्हें मुर्गी पालन और उनकी देखभाल का प्रारंभिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण के उपरांत, इन्हीं कंपनियों द्वारा बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा। ये कंपनियां बैकयार्ड पोल्ट्री के तहत पाली गई विभिन्न देसी नस्लों की मुर्गियों की खरीदारी करेंगी, जिससे उत्पादकों को अपने उत्पादों के विपणन में आसानी होगी। प्रदेश शासन के प्रमुख सचिव, पशुपालन, मत्स्य एवं दुग्ध विकास, मुकेश मेश्राम ने जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुडे को प्रशिक्षण और विपणन में सहायता का आश्वासन दिया है। यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगी।
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