अयोध्या में निषाद राज चौराहे से रविवार को रामकोट परिक्रमा निकाली गई, जिसमें कारसेवकों के सम्मान की मांग जोरशोर से उठी। परिक्रमा का नेतृत्व धर्म सेना प्रमुख और बाबरी विध्वंस मामले के आरोपी रहे संतोष दुबे ने किया। परिक्रमा मंत्रोच्चार और ‘जय श्रीराम’ के जयकारों के बीच प्रारंभ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत और श्रद्धालु शामिल हुए। संतोष दुबे ने कहा कि परिक्रमा का उद्देश्य अयोध्या और रामभक्तों की भावनाओं को सम्मान दिलाना है। उन्होंने मांग की कि कारसेवकों और उनके परिवारों को सम्मान और आर्थिक सहायता मिले। साथ ही जिन कारसेवकों ने प्राण त्यागे, उनकी मूर्तियां अयोध्या के प्रमुख चौराहों पर स्थापित की जाएं।दुबे ने कहा कि“जिन लोगों ने कारसेवकों का अपमान किया और गोली चलवाई, उन्हें अयोध्या से दूर रखा जाए।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी से कई प्रतीकात्मक मांगें भी कीं, जिनमें लखनऊ राजमार्ग का नाम स्वर्गीय राम अचल गुप्ता, टेढ़ी बाजार चौराहा राजेंद्र धरकार, लता मंगेशकर चौक का नाम बदलकर वासुदेव गुप्ता शहीद कारसेवक, हनुमानगढ़ी चौराहा मार्ग कोठारी बंधुओं और रमेश पांडे के नाम पर मार्ग बनाए जाने की मांग शामिल रही।इसके अलावा उन्होंने शलाका पुरुष रामचंद्र परमहंस और अशोक सिंघल की प्रतिमाएं सरयू तट पर लगाने की भी मांग की। परिक्रमा मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल और स्वयंसेवक तैनात रहे। श्रद्धालुओं ने उत्साह के साथ परिक्रमा पूर्ण की और रामलला के दर्शन किए।
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