अयोध्या में जब से राम मंदिर बना, तब से दर्शन की बड़ी अभिलाषा थी। परिवार वाले कभी अयोध्या लेकर नहीं गए। वृद्धाश्रम से हम लोगों को अयोध्या ले जाया गया। राम मंदिर के दर्शन कर जीवन धन्य हो गया। ये कहना है वृद्धाश्रम में रहने वाली बुजुर्ग विजय लक्ष्मी का। उनके साथ अयोध्या से लौटीं कुसुमा, चिंतामणि दीक्षित, राम बेटी, मदनलाल आदि बुजुर्गों ने खुशी का इजहार किया। कुसुमा ने बताया कि जिन तीर्थो पर कभी परिवार ने दर्शन कराने से मना कर दिया था, अब उन्हीं तीर्थ स्थलों पर आश्रम के लोग दर्शन के लिए खुशी-खुशी ले जाते हैं। बुढ़ापे में भगवान के दर्शन हों, इससे अच्छी क्या ही बात हो सकती है। उन्होंने कहाकि राम मंदिर बनने का वर्षों से इंतजार था। जब राम मंदिर बन गया तो कोई अयोध्या ले जाने का सहारा नहीं था। कभी सोचा भी नहीं था कि अयोध्या में मन्दिर के दर्शन कर सकेंगे। ये सब वृद्धाश्रम की वजह से हो सका। दरअसल कन्नौज के वृद्धाश्रम में रहने वाले 41 बुजुर्गों को समाज कल्याण विभाग की ओर से अयोध्या के राम मंदिर दर्शन के लिए दो दिन की यात्रा पर ले जाया गया था। यात्रा पूरी होने पर उन्हें वापस पुलिस लाइन रोड स्थित वृद्धाश्रम लाया गया। तीर्थाटन से वापस लौटे वृद्धजनों से दैनिक भास्कर ने यात्रा को लेकर बात की तो वह लोग बेहद खुश नजर आए। वृद्धाश्रम में इन दिनों करीब 74 बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष हैं। ये वो लोग हैं, जिन्हें उनके बच्चे अपने साथ रखना नहीं चाहते थे या फिर जो लोग अकेले रहते थे। इनमें से जो लोग शारीरिक रूप से सक्षम और स्वस्थ्य थे, उन्हें उनकी इच्छा से अयोध्या की दो दिन की यात्रा पर बस से ले जाया गया। इस दौरान उन्होंने भव्य राम मंदिर और हनुमान गढ़ी के दर्शन किए। कनक भवन और दशरथ महल भी देखा। यात्रा के दौरान अयोध्या की बाजार में घूमे। समाज कल्याण अधिकारी वेद प्रकाश मिश्रा ने बताया कि समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण की प्रेरणा और डीएम आशुतोष मोहन अग्निहोत्री के निर्देश पर वृद्धाश्रम के बुजुर्गों को अयोध्या ले जाया गया। वहां ठहरने, घूमने और खाने की अच्छी व्यवस्था थी। उन्होंने बताया कि अक्सर बुजुर्गों को किसी न किसी तीर्थस्थल पर विभाग की ओर से ले जाया जाता है। इससे पहले भी चित्रकूट, मथुरा, वृंदावन, कुम्भ में बुजुर्गों को ले जाया गया था।
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