‘पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुख अब्दुल्ला, उनके पिता और महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर की रूह खत्म कर दी थी। कश्मीर का आम आदमी आज भी यह नहीं जानता कि अनुच्छेद 370 क्या था। उसी का खामियाजा है कि आज भी देशभर में कश्मीरी युवाओं को परेशान किया जाता है। वे कहीं शॉल या ड्राई फ्रूट बेचने जाते हैं तो परेशान किया जाता है। हालांकि, केंद्र में बीजेपी की सरकार आने पर अनुच्छेद 370 खत्म हुआ… तो कम-से-कम कश्मीर के अंदर लोगों को राहत मिली। कश्मीर के युवाओं को वंदे मातरम् कहलवाने के एवज में उन्हें छेड़ा जाता है। जो लोग वंदे मातरम् कहलवाते हैं, मैं उनसे एक सवाल पूछता हूं- क्या वो वंदे मातरम् का मतलब बता सकते हैं? नहीं बता पाएंगे। इसके अलावा वो जिन्हें वंदे मातरम् कहने पर मजबूर करते हैं, उनको भी नहीं पता कि वंदे मातरम् का मतलब क्या है। हमने एक किताब लिखी है- ‘आगोश-ए-हिंद’। ऐसी किताब वंदे मातरम् कहने वाले नहीं लिख पाएंगे।’ ये कहना था जम्मू कश्मीर से लखनऊ आए शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना आगा अब्बास रिजवी का। वह रविवार को बड़ा इमामबाड़ा में हुए ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महाअधिवेशन में पहुंचे थे। उन्होंने जब मंच पर बोलना शुरू किया तो पहला शब्द था- वंदे मातरम्, यह सुनते ही सभा में सन्नाटा छा गया। इसके बाद उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् को लेकर हमारे जवानों को डराया जाता है। हिंदुस्तान और भारत शब्द की अलग-अलग परिभाषा पेश की। इसी पर दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने उनसे खास बातचीत की। पढ़िए… सवाल : आपने मंच से कहा कि वंदे मातरम् के नाम पर युवाओं को डराया जा रहा है, क्या ऐसा है? जवाब : हम आपको बताते हैं कि अलग-अलग राज्यों में हमारे जम्मू-कश्मीर के नौजवान जो ड्राई-फ्रूट बेचने या व्यापार के लिए जाते हैं उन्हें छेड़ा जाता है, परेशान किया जाता है। एक अलग-सा माहौल तैयार किया जा रहा है। कश्मीर और दिल्ली में जो दूरियां थीं, वो कम हो रही हैं, मिठास में बदल रही हैं। अब भी कुछ असामाजिक तत्व उस रिश्ते को खराब करना चाहते हैं। वंदे मातरम् इतना बड़ा मुद्दा नहीं है। जहां तक हम जानते हैं कि वंदे मातरम् का मतलब होता है ‘मां तुझे सलाम’। सवाल : क्या वंदे मातरम् की बात आती है तो कश्मीरियों की वफादारी पर सवाल खड़े होते हैं? जवाब : इसमें भारत सरकार को सोचना चाहिए कुछ साल पहले हम दिल्ली से गए तो होटल वाले ने मुझसे कहा कि यहां सख्ती से मना किया गया है कि कश्मीरियों को कमरा ना दें। जब इस तरह की चीज होती हैं तो दिल बहुत दुखी होता है, ऐसा नहीं होना चाहिए। इस देश में बहुत सारे धर्म और राज्य के लोग मिलजुल के रहते हैं इसलिए इसकी मिठास में और बढ़ोतरी होनी चाहिए। कश्मीरियों का खुले दिल से स्वागत होना चाहिए। जब हमें प्यार मिलेगा तो हम उससे दोगुना प्यार देंगे। बांग्लादेश में जो हो रहा है, हमें उससे कोई लेना-देना नहीं है मगर हम उसका विरोध करते हैं। सवाल : 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या बदलाव आया? जवाब : अनुच्छेद 370 के 2019 में हटने से बहुत पहले ही कश्मीर की रूह निकल चुकी थी। यह काम वहां हुकूमत करने वालों ने किया। फारुक अब्दुल्ला और उनके पिता शेख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, इन लोगों ने कश्मीर की रूह को खत्म कर दिया था। बदलाव ऐसे हुआ है कि जो 370 का फायदा उठाने वाले थे उनकी रोटी बंद हुई है। आम आदमी तो जानता भी नहीं था 370 क्या है और क्या नहीं? बीजेपी से मेरा कोई ताल्लुक नहीं है मगर हम इस बात की सराहना करते हैं कि जब से भाजपा आई है, बहुत राहत मिली है। सवाल : पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के समय में कश्मीर में रोजगार और पाकिस्तान को लेकर क्या स्थिति रही? जवाब : अगर कश्मीर में 1990 से कत्ल और खून रेजी हुई है मेरे ख्याल से इसका सबसे बड़ा जिम्मेदार NC (National Conference ) पार्टी है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने वहां पर कत्लेआम करवाया है और वही लोग इसके जिम्मेदार हैं। इसके अलावा कोई नहीं है। जम्मू-कश्मीर को बर्बाद करने में इनका बड़ा हाथ रहा है। अगर इस वक्त कश्मीर में कुछ अमन है तो वह केंद्र सरकार की वजह से है। सवाल : बिहार के मुख्यमंत्री ने महिला के हिजाब को छुआ उसको लेकर बहुत विरोध हुआ। आप इसे कैसे देखते हैं ? जवाब : बिहार में जो हुआ ऐसा नहीं होना चाहिए था यह बहुत गलत है। हमारे अंदर और बाहर बहुत दुश्मन हैं जिसे देखते हुए हमें बहुत चौकन्ना रहना चाहिए। इससे अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पर एक गलत मैसेज जाता है। जो हमारे बाहरी दुश्मन हैं, वो नहीं चाहते कि भारत सफल हो। ऐसे मामलों के बाद उनको एक मौका मिलता है कि वह इसे और उछाल सकें।
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