मथुरा में यमुना एक्सप्रेस वे पर 16 दिसंबर को यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे में 9 लोगों के सैंपल मैच होने के बाद अब परिजन अपनों के शव को लेने पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचे रहे हैं। यहां 4 मृतकों के परिजन शव लेने को पहुंचे। जिनकी कागजी कार्यवाही करने के बाद प्रशासन ने उनके शव परिजनों को सौंप दिए। जिस बस पर थे ड्राइवर उसी में हो गई मौत यमुना एक्सप्रेस वे पर हादसे का शिकार कानपुर के रहने वाले सलीम भी हुए। सलीम कानपुर के शताब्दी ट्रेवल्स की बस को चलाया करते थे। 4 साल से ड्राइवरी कर रहे सलीम 15 दिसंबर की रात को कानपुर से दिल्ली के लिए शताब्दी ट्रेवल्स की स्लीपर क्लास बस लेकर चले। सलीम जैसे ही थाना बलदेव क्षेत्र के माइल स्टोन 127 पर पहुंचे तभी वह हादसे का शिकार हो गए। शिनाख्त के लिए बेटे और पिता ने दिया था DNA सैंपल हादसे का शिकार हुए सलीम का शव बुरी तरह जल गया था। शिनाख्त के लिए बेटा अली अब्बास और पिता इसरार हुसैन ने DNA सैंपल दिए थे। सोमवार को सैंपल मैच होने के बाद मंगलवार को परिजन शव लेने पहुंचे। जहां प्रशासन ने उनका शव सौंप दिया। जिसके बाद वह शव को पैतृक गांव दौड़ीबारी,कानपुर देहात के लिए लेकर रवाना हो गए। दिल्ली में करते थे सिलाई का काम हादसे का शिकार इटावा के रहने वाले सलीम भी हुए थे। सलीम नोएडा की एक एक्सपोर्ट कंपनी में सिलाई मास्टर थे। वह पिता की तबियत खराब होने पर हादसे से 2 दिन पहले इटावा स्थित अपने घर आजाद नगर टीला आए हुए थे। यहां से वह सोमवार शाम को शताब्दी ट्रेवल्स की बस में सवार होकर वापस नोएडा जा रहे थे। इसी दौरान वह हादसे का शिकार हो गए। पिता की शिनाख्त के लिए बेटा बेटी ने दिए सैंपल हादसे के बाद परिजन सलीम की तलाश में मथुरा पहुंचे। यहां सलीम का कुछ पता नहीं चला। जिसके बाद प्रशासन ने अज्ञात शवों में से सलीम की पहचान के लिए उनके बेटे कलीम और बेटी तबस्सुम का DNA सैंपल लिया। इसका आगरा स्थित लैब में मैच कराया गया। जहां सोमवार को सैंपल मैच कर गया। इसके बाद मंगलवार को शव परिजनों को सौंप दिया गया। रोडवेज बस के थे सुनील ड्राइवर एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे और उसके बाद 9 वाहनों में लगी आग में वह रोडवेज बस भी थी जो आजमगढ़ से दिल्ली जा रही थी। इस बस को अंबेडकरनगर के रहने वाले सुनील कुमार चला रहे थे। बस में आग लगने के कारण सुनील कुमार की भी जलकर मौत हो गई थी। शिनाख्त के लिए प्रशासन ने 5 साल के बेटे संस्कार और 12 साल की बेटी अंकिता का DNA सैंपल लिया था। 7 दिन रहे रैन बसेरा में सुनील की शिनाख्त के लिए भाई और परिजन अस्पताल से लेकर पोस्टमॉर्टम तक भटके। इस दौरान वह जिला अस्पताल में बने रैन बसेरा में रहे। सोमवार को जब DNA सैंपल मैच हो गया और परिजनों को पता चला कि सुनील की हादसे में मौत हो गई है तो उनकी आंखों से आंसू झलक उठे। मंगलवार को प्रशासन ने शव परिजनों को सुपुर्द कर दिया। जिसके बाद परिजन एंबुलेंस से शव को अंबेडकरनगर ले गए। गाजियाबाद में राघवेंद्र कर रहे थे काम 30 साल के जालौन के रहने वाले राघवेंद्र गाजियाबाद के मोहन नगर में स्थित जूते चप्पल की दुकान पर काम कर परिवार का पालन पोषण करते थे। हादसे से एक हफ्ते पहले वह परिवार से मिलने जालौन आए थे। सोमवार को वह जालौन से बस से दिल्ली जा रहे थे। इसी दौरान वह हादसे का शिकार हो गए। राघवेंद्र के छोटे भाई अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि उनके एक बेटा एक बेटी है। वही परिवार का पालन कर रहे थे। आंखों में आंसू लिए शव लेकर हुए रवाना सोमवार को सैंपल मैच होने के बाद मंगलवार को जब राघवेंद्र का शव भाई अनिरुद्ध कुमार और अन्य परिजनों को सौंपा तो आंखों से आंसू झलक उठे। परिवार आंखों में आंसू लिए शव को लेकर रवाना हुए तो माहौल गमगीन हो गया।
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