विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत जिले में डिजिटाइजेशन का काम पूरा हो चुका है। किस विधानसभा क्षेत्र में कितने लोग वास्तविक रूप से मतदाता हैं, इसका आंकड़ा लगभग तैयार है। प्रशासन इनकी मैपिंग और मृतक, डुप्लीकेट, अनट्रेसेबल व शिफ्टेड मतदाताओं का एक बार फिर सत्यापन कराने में जुटा है। इन सबके बीच सभी दल भी गहनता से बूथों का अध्ययन करने में जुटी है। चुनावों में जिन बूथों पर उन्हें सबसे अधिक वोट मिलते हैं और जहां सबसे कम, वहां मतदाताओं के नाम कटने की समीक्षा की जा रही है। इस काम में भाजपा सबसे आगे हैं। पार्टी ने अपने जनप्रतिनिधियों को इसकी जिम्मेदारी दी है।
समीक्षा में यह बात देखी जाएगी कि कहीं मजबूत बूथों पर अधिक नाम तो नहीं कट गए। यदि ऐसा होता है तो पार्टियों यह मानकर चलेंगी कि उनके वोटर कम हुए हैं। ऐसे ही यदि कमजोर बूथों पर कम नाम कटे होंगे तो यह भी उनके लिए शुभ संकेत नहीं होगा। इसीलिए एक-एक बूथ पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। प्रशासन ने सभी बीएलओ को निर्देश दिया है कि डिलीट होने वाले मतदाताओं के नाम की सूची राजनीतिक दलों की ओर से नियुक्त बीएलए से जरूर साझा करें। सीएम ने लगाई थी भाजपा नेताओं की क्लास
गोरखपुर दौरे पर आए सीएम योगी आदित्यनाथ ने SIR को लेकर भाजपा नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। एक भाजपा नेता का कहना है कि सीएम ने SIR को लेकर सजगह रहने को कहा है। उन्होंने कहा था कि एक-एक मतदाता से फार्म जरूर भरवाएं। इसके साथ ही कमजोर और मजबूत बूथों पर निगरानी रखने को भी कहा गया था। सीएम ने विधायकों से कहा था कि प्रशासन की आरे से जिन नामों को डिलीट करने की श्रेणी में रखा जाए, उसका एक बार अपने स्तर पर सत्यापन करना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि किसी वोटर का नाम गलती से इस सूची में दर्ज हो गया हो। ए, बी व सी श्रेणी में बांटे गए हैं बूथ
राजनीतिक दलों ने चुनावों की तर्ज पर विधानसभा क्षेत्र के बूथों को ए, बी व सी श्रेणी में बांटा है। ए श्रेणी के बूथ वे हैं, जहां दल सबसे मजबूत हैं। यानी उन्हें जहां सबसे अधिक वोट मिलते हैं और दूसरे दलों की तुलना में मतों का अंतर काफी अधिक होता है। बी श्रेणी के बूथ ऐसे हैं, जहां प्रदर्शन औसत रहता है। लेकिन मतों की संख्या अधिक होती है। सी श्रेणी में उन बूथों को रखा गया है, जहां पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं होता। यानी वो किसी अन्य दल का मजबूत बूथ होता है। मजबूत बूथों से ज्यादे वोट कटे तो क्या होगा
राजनीतिक दल इस मामले को लेकर इसलिए गंभीर हैं कि मजबूत बूथों से यदि ज्यादे नाम कटे तो चुनाव परिणाम पर भी असर नजर आएगा। क्योंकि जो दल मजबूत होगा, उसी के अधिक वोटरों के कटने की संभावना होगी। ऐसे में डिलीट की श्रेणी में रखे गए नामों का बारीकी से सत्यापन कराया जा रहा है। यदि अधिक वोटर शिफ्ट नजर आएंगे तो उसी अनुसार रणनीति भी बनाई जाएगी। जिले में कटेंगे 6.46 लाख वोटरों के नाम SIR के तहत डिजिटाइजेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 6 लाख 46 हजार 896 वोटर एएसडीडी यानी अबसेंट, शिफ्टेड, डुप्लीकेट व डेड श्रेणी में रखे गए हैं। यानी इनके फार्म नहीं आए। एक बार फिर इनका सत्यापन हो रहा है लेकिन आंकड़े में बहुत बदलाव की गुंजाइश नहीं है। गोरखपुर में 17.64 प्रतिशत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से कटने वाला है। ऐसे में राजनीतिक दलों में हड़कंप मचा है।
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