इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर की वक्फ अटाला जामा मस्जिद परिसर में बनी लगभग 50 दुकानों के ध्वस्तीकरण और नियंत्रण से जुड़े मामले को जनहित याचिका (PIL) के रूप में सुनने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले को चीफ जस्टिस की पीठ को संदर्भित कर दिया है। अब इस प्रकरण की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी। यह याचिका संतोष कुमार मिश्रा ने रिट-सी याचिका के रूप में दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि अटाला जामा मस्जिद का विवादित परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित स्मारक है। एएसआई लंबे समय से इसकी देखरेख कर रहा है। याची का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने एएसआई की अनुमति के बिना मस्जिद परिसर में 50 से अधिक दुकानों का अवैध निर्माण कराया है। याचिका में यह भी बताया गया है कि इन दुकानों का किराया वक्फ बोर्ड द्वारा ही वसूला जा रहा है। याची के अनुसार, एएसआई संरक्षित परिसर में बिना अनुमति निर्माण अतिक्रमण माना जाता है। आरोप है कि दुकानों का आवंटन नीलामी प्रक्रिया अपनाए बिना, मनमाने ढंग से एक वर्ग विशेष को किया गया है। याचिका में इन दुकानों को तत्काल ध्वस्त करने की मांग की गई है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अपने जवाब में विवादित परिसर को अटाला जामा मस्जिद के साथ अटला देवी मंदिर परिसर का हिस्सा बताया है। एएसआई का कहना है कि परिसर में धार्मिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं और पूरे क्षेत्र में आमजन के लिए निःशुल्क प्रवेश है। इस मामले में केंद्र सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक, अधीक्षक पुरातत्वविद्, जौनपुर के जिलाधिकारी, एसएसपी और वक्फ अटाला जामा मस्जिद को प्रतिवादी बनाया गया है। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब 19 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं, जहां मामले की दिशा तय होने की संभावना है।
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