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अखिलेश दुबे को 37 मामलों में क्लीनचिट, 6 की जांच:दुबे के खिलाफ SIT को छह मामलों में इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस मिले, जल्द होगी FIR

जेल में बंद चर्चित अधिवक्ता अखिलेश दुबे के खिलाफ गुरुवार को एसआईटी ने पुलिस कमिश्नर को अपनी रिपोर्ट दी है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट की मानें तो अखिलेश दुबे के खिलाफ ऑपरेशन महाकाल में आईं 42 शिकायतों में 37 में कोई एविडेंस नहीं मिला है। इसके चलते 37 शिकायतों में जांच के दौरान कोई साक्ष्य नहीं मिलने पर क्लीनचिट दी है। जबकि छह मामलों में इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस और कॉल डिटेल समेत अन्य साक्ष्य मिलने के चलते जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद इन छह मामलों में अखिलेश दुबे और उसके गैंग के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। जांच पूरी होते ही अखिलेश दुबे पर दर्ज होंगी और FIR पूर्व पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने “ऑपरेशन महाकाल” चलाकर फर्जी मुकदमें दर्ज कराकर लोगों से वसूली और जेल भिजवाने वाले अखिलेश दुबे को अरेस्ट करके जेल भेजा था। अखिलेश दुबे के जेल जाते ही एक के बाद एक करीब 57 शिकायतें पहुंची हैं। इसमें 43 मामले सीधे तौर पर अखिलेश दुबे से जुड़े थे। इन सभी मामलों की जांच के लिए तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने एसआईटी का गठन किया था। इसके बाद से इन सभी मामलों की जांच एसआईटी कर रही थी। पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने गुरुवार को जांच कर रही एसआईटी की समीक्षा बैठक की। इस दौरान एसआईटी ने जाे रिपोर्ट पेश की उसमें अखिलेश दुबे के खिलाफ आई 37 शिकायतों में कोई भी एविडेंस नहीं मिला। इसके चलते इन सभी मामलों में दुबे को क्लीनचिट दे दी गई। जबकि अखिलेश दुबे के खिलाफ 42 शिकायतों में 6 पर एसआईटी को साक्ष्य मिले हैं। पुलिस कमिश्नर ने बताया कि अब इन सभी मामलों में गंभीरता से जांच की जा रही है। इलेक्ट्रानिक एविडेंस, सीडीआर व अन्य गवाहों के आधार पर कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी। जिसके बाद तय है कि जल्द ही अखिलेश और उसके साथियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज होंगे। साक्ष्यों के आधार पर होगी कार्रवाई पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने बताया कि ऑपरेशन महाकाल के दौरान अ​खिलेश दुबे के ​खिलाफ मिली 37 ​शिकायतों में पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले हैं। छह मामलों में एसआईटी को कुछ साक्ष्य मिले हैं। जिसके बाद एसआईटी को डिजिटल साक्ष्य, गवाहों के बयान, सीडीआर और अन्य साक्ष्य जुटाने के आदेश दिए गए हैं। जांच पूरी होने पर कार्रवाई होगी। साक्ष्यों के आधार पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। इससे कि सभी मुकदमें कोर्ट में स्टैंड हो सकें और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके।


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