अंबेडकरनगर जिले में पिछले तीन-चार वर्षों में ई-रिक्शा की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। जहां एक ओर इनसे लोगों की यात्रा सुगम हुई है और ये कई परिवारों के लिए आजीविका का साधन बन गए हैं, वहीं दूसरी ओर जिले में चार्जिंग पॉइंट की व्यवस्था न होने से ई-रिक्शा चालकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिले के हर गांव और गली में औसतन पांच से छह व्यक्तियों के पास अपना ई-रिक्शा है। ये चालक यात्रियों को लाने-ले जाने और सामान ढोने का काम करते हैं, जिससे उनके परिवारों का भरण-पोषण होता है। चार्जिंग पॉइंट की कमी के कारण ई-रिक्शा चालकों को अक्सर असहज स्थितियों का सामना करना पड़ता है। कई बार सवारियों को बैठाने के बाद रास्ते में ही ई-रिक्शा की बैटरी खत्म हो जाती है, जिससे उन्हें बीच रास्ते में रुकना पड़ता है। ऐसी स्थिति में चालकों को सवारियों की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है। चालकों का कहना है कि सुबह घर से निकलते समय ई-रिक्शा पूरी तरह चार्ज होता है, लेकिन वह पूरे दिन नहीं चल पाता। चार्जिंग पॉइंट न होने के कारण कई चालक दोपहर तक ही ई-रिक्शा लेकर घर लौट जाते हैं। यदि जिले में पर्याप्त चार्जिंग पॉइंट की व्यवस्था होती, तो वे अधिक समय तक काम करके अपनी आय बढ़ा सकते थे। ई-रिक्शा चालकों का आरोप है कि इस महत्वपूर्ण समस्या पर जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान नहीं है, जिससे उनकी परेशानियां लगातार बनी हुई हैं। महरुआ से अकबरपुर पहुंचे दिनेश ने बताया कि चार्जिंग पॉइंट न होने से दिक्कत होती है, जबकि पॉइंट होने से चार्जिंग में आसानी होती। इसी तरह बेवाना के सतीश ने कहा कि चार्जिंग पॉइंट होने से समस्या खत्म होती और उनकी कमाई बढ़ सकती थी।
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